मैं अभी अपने पति के साथ शादी की तस्वीरें लेने के बाद ही आई थी कि जब वह मॉडलों की तस्वीरें देख रहे थे

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Part 3 – अँधेरे का साया

part 3

शादी तोड़ने के बाद ज़िंदगी आसान नहीं थी।
मुंबई जैसे बड़े शहर में ख़बरें आग की तरह फैलती हैं।
रिश्तेदार कानाफूसी करते, पड़ोसी सवाल पूछते –
“इतने अच्छे लड़के से रिश्ता क्यों तोड़ा?”
“कहीं लड़की की ही ग़लती तो नहीं थी?”

लोगों की बातें चाकू की तरह चुभती थीं,
लेकिन मेरे अंदर एक ठंडा आत्मविश्वास था –
भरोसा टूट जाने के बाद, रिश्ता निभाना नामुमकिन है।

शुरुआती दिनों में अर्जुन ने मुझे लगातार फ़ोन किए।
पहले तो वह गिड़गिड़ाया:
“मैं ग़लत था… मुझे एक और मौका दो। लोग जो बोलते हैं, उस पर ध्यान मत दो।”

लेकिन जब मैंने जवाब नहीं दिया,
तो उसका लहजा बदल गया –
“क्या तुम सोचती हो कि तुम मुझे छोड़कर चैन से रहोगी?
तुम्हें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।”

उसकी आवाज़ सुनकर मेरी रीढ़ की हड्डी तक जम जाती।

एक रात, मैं घर लौटी और देखा कि दरवाज़े पर लाल पेंट फेंका गया है।
मेलबॉक्स में किसी ने जंग लगा चाकू ठूँस दिया था।
मेरा दिल बैठ गया।
मुझे पता था यह किसका काम हो सकता है।

मैंने पुलिस को कॉल किया,
लेकिन अर्जुन के संबंध हर जगह थे।
सीधा सबूत न होने की वजह से पुलिस ने बस इतना कहा:
“सावधान रहिए, घर के ताले बदलवा लीजिए।”

लेकिन क्या ताले किसी के डर को रोक सकते हैं?

कई रातों तक मुझे लगता जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा हो।
गली के मोड़ पर खड़ी परछाइयाँ,
पीछे से आती भारी साँसें…
कभी असली, कभी शायद सिर्फ़ मेरा डर।

उस समय रवि मेरा सबसे बड़ा सहारा बना।
वह अक्सर मुझे काम से लेने आता,
दरवाज़ों के ताले चेक करता,
और रात को मैसेज करके पूछता:
“सुरक्षित पहुँची न?”

पहले लगा ये सिर्फ़ उसकी इंसानियत है।
लेकिन धीरे-धीरे मुझे महसूस हुआ –
उसकी आँखों में एक अजीब-सी गर्माहट है।
वह सिर्फ़ मुझे बचा नहीं रहा था,
बल्कि मेरे टूटे दिल की दरारें भी भर रहा था।

एक शाम, पूरे मोहल्ले की बिजली चली गई।
अंधेरे कमरे में बैठकर मैं काँप रही थी।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई –
रवि था, हाथ में टॉर्च लिए।

उस हल्की रोशनी में उसका चेहरा दिखा।
उसने धीरे से कहा:
“डरो मत, मैं यहीं हूँ।”

उस पल मेरा दिल अचानक भर आया।
मैंने उसके कंधे पर सिर रख दिया।
मेरे आँसू बह निकले, और उसने बस चुपचाप मेरा हाथ थामे रखा।

कुछ देर बाद उसने फुसफुसाकर कहा:
“मैंने सोचा था… अपनी बहन को खोने के बाद
फिर कभी किसी से जुड़ नहीं पाऊँगा।
लेकिन तुम्हें देखकर लगता है,
मुझे जीने का, किसी की रक्षा करने का कारण मिला है।”

उसकी आवाज़ में काँपती हुई सच्चाई थी।
और पहली बार मुझे लगा –
मैं अकेली नहीं हूँ।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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