रमेश फिर से रो पड़ा। उसने माफी मांगी और कहा कि उसे जेल में डाल दो लेकिन फांसी मत देना। आराध्या ने उसकी ओर देखा और एक गहरी सांस ली। उसने कहा कि वह उसकी मजबूरी समझती थी।
उसका पति सिद्धार्थ उसे कभी समय नहीं दे पाता था। पूरी रात वह अस्पताल में रहता था। शादी के बाद उनके बीच केवल एक बार ही शारीरिक संबंध बने थे। उसके बाद कभी नहीं। उसकी आवाज में एक अजीब सा दर्द था। रमेश हैरान हो गया। वह सोच में पड़ गया कि मैडम उसे यह सब क्यों बता रही थी।
तभी आराध्या ने कुछ ऐसा कहा जिसने उसे चौंका दिया। उसने पूछा कि अगर वे दोनों फिर से वही सब करें तो क्या उसे कोई परेशानी होगी? रमेश का मुंह खुला रह गया। आराध्या ने आगे कहा कि उसने नींद में उसके साथ सब कुछ किया लेकिन उसे उसका एहसास तक नहीं हुआ। क्या वे फिर से वही सब कर सकते थे?
इस बार होश में रमेश के दिमाग में उथल-पुथल मच गई। तभी दरवाजा खुला। सिद्धार्थ अस्पताल से लौट आया था। उसका चेहरा थकान से भरा हुआ था। उसने आराध्या को देखा और कहा कि वह सोने जा रहा था।
आज रात फिर से उसे देर तक अस्पताल में रहना था। पूरी रात वह वहीं बिताने वाला था। यह कहकर वे अपने कमरे में चला गया। आराध्या ने रमेश की ओर देखा और कहा कि उसने देखा ना सिद्धार्थ उसे कभी समय नहीं दे पाता। उसने रमेश से कहा कि वह सोच कर जवाब दे। फिर अपनी वर्दी पहनकर वह अपने काम पर चली गई। रमेश पूरा दिन घर की सफाई करता रहा। उसका दिमाग सोच में डूबा हुआ था।
क्या यह सब करना सही होगा? लेकिन फिर उसने सोचा कि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। शाम को सिद्धार्थ उठा। उसने जल्दी-जल्दी तैयार होकर अस्पताल के लिए निकलने की तैयारी की। उसने रमेश से कहा कि जब आराध्या आए तो उसे बता देना कि आज अस्पताल में बहुत काम था। इसलिए वह सुबह ही लौटेगा। यह कहकर वह चला गया। रात हुई। आराध्या घर लौटी। रमेश ने उसे सिद्धार्थ का संदेश दिया।
उसने ठीक है कहकर बात टाल दी और नहाने चली गई। नहा कर बाहर आई तो उसने रमेश को बुलाया। उसने पूछा कि उसने क्या सोचा? रमेश ने हिचकिचाते हुए पूछा कि क्या यह सब ठीक रहेगा? आराध्या ने तंज कसा कि जब उसने उसे नींद की गोलियां खिलाकर यह सब किया था तब उसके लिए ठीक था।
रमेश के पास कोई जवाब नहीं था। उसने हामी भर दी। रात गहराने लगी। कमरे में हल्की रोशनी थी। आराध्या ने अपने कपड़े उतारे और रमेश को पास बुलाया।
दोनों एक दूसरे के करीब आए। रमेश ने उसके शरीर को छुआ और आराध्या ने आंखें बंद कर ली। दोनों के बीच एक जंगली आकर्षण था। रात भर वे एक दूसरे में खोए रहे। कभी धीमे कभी तेज उनके बीच का वह पल गर्माहट और पाप का मिश्रण बन गया। सुबह तक दोनों थक कर एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए। सुबह सिद्धार्थ जल्दी घर लौट आया। उसने दरवाजा खोला और बेडरूम में कदम रखा। वहां का नजारा देखकर उसके पैर जम गए।