उसने नाप लेने के बहाने अनीता के कंधों, कमर और अन्य हिस्सों को अनुचित तरीके से छूने की कोशिश की। उसकी नजरें अब बेशर्मी की हद पार कर रही थी। अनीता ने अपने गुस्से को काबू में रखा। लेकिन उनके सब्र का बांध अब टूटने वाला था। जैसे ही किशन ने अपनी हदें और पार की, अनीता ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया। थप्पड़ की गूंज पूरे कमरे में फैल गई। किशन हक्का पक्का रह गया।
उसकी आंखों में गुस्सा और हैरानी थी। उसने गुस्से में अनीता को धक्का देने की कोशिश की और चिल्लाया। तूने मुझे थप्पड़ मारा, मैं तुझे सबक सिखाऊंगा। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ और कर पाता। अनीता ने अपनी असली पहचान उजागर कर दी। किशन मैं एएसपी अनीता शर्मा हूं। उन्होंने गरजते हुए कहा।
उसी पल विनोद और रीना दुकान में घुस आए। किशन के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह समझ गया कि उसका खेल खत्म हो चुका है। पुलिस ने उसे हथकड़ी लगाई और स्टेशन ले गई। पूछताछ में किशन ने अपने कई अपराध कबूल किए। उसकी आवाज में पछतावे का कोई निशान नहीं था। वह अपनी करतूतों को एक खेल की तरह देखता था। लेकिन अनीता और उनकी टीम ने सुनिश्चित किया कि उसे उसकी करनी का फल मिले। कोर्ट में सुनवाई के दौरान किशन के खिलाफ कई गवाह सामने आए।
नीलम और अन्य लड़कियों ने हिम्मत दिखाई और अपनी आपबीती सुनाई। जज ने किशन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसकी दुकान बंद हो गई और उसकी जगह अब एक नई सिलाई दुकान खुली जिसे एक ईमानदार और मेहनती टेलर अजय चलाता था। अजय ने मोहल्ले की औरतों और लड़कियों का भरोसा जीता। सूरजपुर में अनीता शर्मा की यह कहानी एक मिसाल बन गई। लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे।
नीलम ने अनीता को गले लगाया और कहा आपके कारण हम अब बिना डर के जी सकते हैं। अनीता ने मुस्कुराते हुए कहा न्याय का रास्ता मुश्किल हो सकता है। लेकिन सच्चाई हमेशा जीतती है। शहर की गलियों में अब एक नई हवा बह रही थी। किशन का आतंक खत्म हो चुका था और सूरजपुर की औरतें अब बिना डर के अपनी जिंदगी जी रही थी। यह कहानी ना केवल किशन के अंत की कहानी थी बल्कि साहस, हिम्मत और न्याय की जीत की कहानी थी।