सूरजपुर गांव की रातें सिर्फ अंधेरी नहीं थीं, बल्कि खून से लिखी दास्तानों से लथपथ थीं यहां डर भूतों का नहीं, इंसानों का था।

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उसने कहा हमें मिलकर इस हत्यारे को ढूंढना होगा। कुछ नौजवानों ने रात को जंगल में गश्त लगानी शुरू की। लेकिन हत्यारा इतना चालाक था कि कोई उसे पकड़ नहीं पाया। एक रात गांव में अब तक का सबसे भयानक हादसा हुआ। सरपंच की बेटी रानी और उसका छोटा भाई छोटू दोनों गायब हो गए। रानी 17 साल की थी और छोटू सिर्फ 10 साल का।

सुबह जब लोग उनके घर पहुंचे तो वहां का मंजर देखकर सबके होश उड़ गए। रानी की लाश आंगन में पड़ी थी। उसकी दोनों टांगे काट दी गई थी और उसका चेहरा तेजाब से जला दिया गया था। उसकी छाती पर चाकू से मौत लिखा हुआ था। छोटू की लाश छत पर मिली और उसकी आंखें निकालकर पास में रखी गई थी।

दीवार पर खून से लिखा था। मैं अभी भूखा हूं। यह देखकर गांव वाले पागल हो गए। सरपंच की पत्नी बेहोश हो गई। लोग चीख रहे थे, रो रहे थे। कुछ लोग गांव छोड़कर भाग गए। जो बचे थे वे रात को हथियार लेकर जागते थे। लेकिन डर अब उनके दिलों में घर कर चुका था। पुलिस ने फिर जांच शुरू की। उन्होंने गांव के हर आदमी से पूछताछ की। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। कुछ लोगों ने शक जताया कि यह गांव के किसी अपने का काम है। कुछ ने कहा कि शायद कोई पुराना बदला है। लेकिन सच अभी भी छिपा हुआ था।

इस बीच गांव में एक और हत्या हुई। इस बार शिकार था गांव का पुजारी। पंडित रामनाथ। वह रात को मंदिर में पूजा कर रहा था। सुबह उसकी लाश मंदिर के गर्भ गृह में मिली। उसका गला कांटा गया था और उसका खून मंदिर की मूर्ति पर पोत दिया गया था। मूर्ति के सामने एक कागज पड़ा था जिस पर लिखा था कोई भगवान नहीं बचा सकता। गांव में अब लोग मंदिर जाना भी बंद कर चुके थे। हर कोई सोच रहा था कि अगला नंबर किसका होगा। कई हत्याओं के बाद एक दिन गांव के बाहर एक अजनबी पकड़ा गया। उसका नाम था विजय। वह एक भटकता हुआ मजदूर था। जो गांव के पास जंगल में छिपा हुआ था। उसके बैग में खून से सने कपड़े और एक चाकू मिला। गांव वालों का गुस्सा फट पड़ा।

उन्होंने उसे पकड़ लिया और पीट-पीट कर मार डाला। यह सोचकर कि वही हत्यारा है। पुलिस ने उसकी लाश को ले जाकर जांच शुरू की। लेकिन कुछ साफ नहीं हुआ। विजय की मौत के बाद गांव में कुछ महीनों तक शांति रही। लोग सोचने लगे कि खतरा टल गया। लेकिन एक रात फिर से एक लाश मिली। गांव की एक बूढ़ी औरत मंगलाबाई अपने घर के बाहर मरी पड़ी थी। पास में जमीन पर खून से लिखा था। यह सिर्फ शुरुआत है।

यह देखकर गांव वालों का बचा खुचा हौसला भी टूट गया। कुछ लोग कहने लगे कि विजय अकेला नहीं था। शायद उसके साथ और लोग थे। कुछ को लगता था कि हत्यारा गांव का कोई अपना है। कोई ऐसा जो दिन में उनके बीच रहता है और रात में हैवान बन जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने एक छाया देखी है। जो रात के अंधेरे में गांव की गलियों में घूमती है।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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