सरिता एक 19 साल की लड़की जो गांव की सबसे खूबसूरत और हंसमुख लड़कियों में से थी। एक शाम नदी किनारे पानी भरने गई। जब वह रात तक नहीं लौटी तो उसका भाई रमेश उसे ढूंढने निकला। रात के सन्नाटे में नदी के पास एक पेड़ के नीचे उसकी लाश मिली। उसकी उंगलियां काट दी गई थी और उन उंगलियों को उसके मुंह में ठूस दिया गया था।
उसके सीने पर चाकू से गहरे घाव बनाए गए थे। जैसे हत्यारा कोई पैटर्न बना रहा हो। गांव में खौफ फैल गया। लोग अब अकेले बाहर निकलने से डरने लगे। सरिता की मां ने गांव वालों से पूछा। मेरी बेटी का क्या कसूर था? लेकिन किसी के पास जवाब नहीं था। कुछ बुजुर्गों ने कहा कि यह कोई पागल जानवर का काम हो सकता है। लेकिन ज्यादातर को यकीन था कि यह किसी इंसान की करतूत है। पुलिस फिर आई। उन्होंने लाश की जांच की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
गांव वालों ने रात को पहरा देना शुरू किया। हर घर में ताले लगने लगे। लेकिन डर की ठंडी हवा गांव में घूम रही थी। कुछ हफ्तों बाद गांव में तीसरी हत्या हुई। इस बार शिकार था मोहन गांव का शराबी। मोहन को लोग पसंद नहीं करते थे क्योंकि वह अक्सर गाली गलौज करता था। एक रात वह शराब के नशे में गांव के चौराहे पर पड़ा था। अगली सुबह उसकी लाश स्कूल के पीछे एक गड्ढे में मिली। उसका पेट चीरा गया था और उसकी आंतें बाहर निकालकर बिखेर दी गई थी।
पास में एक खून से सना हथौड़ा पड़ा था। जिसे देखकर गांव वालों की रूह कांप गई। यह साफ था कि हत्यारा अपनी क्रूरता का मजा ले रहा था। गांव में अब हर रात डर का माहौल था। लोग अपने घरों में छिपने लगे। बच्चे स्कूल जाना बंद कर चुके थे। लेकिन हत्यारा रुकने वाला नहीं था। कुछ दिन बाद कमला नाम की एक औरत गायब हो गई। वह गांव की सबसे मेहनती औरतों में से थी। जो अपने बच्चों के लिए दिन रात काम करती थी।
उसकी लाश गांव के पुराने कुएं में तैरती मिली। उसके शरीर पर जलने के निशान थे। जैसे उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई हो। गांव में अब हर कोई डर में जी रहा था। लोग रात को बाहर नहीं निकलते थे। कुछ ने अपने घरों की दीवारों पर ताबीज और मंत्र लिखवाए। यह सोचकर कि शायद कोई बुरी शक्ति है। लेकिन गहरे में सबको पता था कि यह कोई शैतान नहीं बल्कि इंसान का काम है। गांव के सरपंच ने एक सभा बुलाई।