जीप शहर के अंदर नहीं बल्कि बाहर की तरफ बढ़ने लगी। मीरा चुप रही। यह देखने के लिए कि यह इंस्पेक्टर उसे कहां ले जा रहा है। रास्ता सुनसान होता गया और आखिर में जीप एक पुराने कंस्ट्रक्शन साइट पर रुकी जहां एक अधूरा बिल्डिंग खड़ा था। विजय ने मीरा को जीप से उतारा। उनके हाथों को कसकर पकड़ा और बिल्डिंग के अंदर ले गया। वहां एक छोटे से कमरे में जिसका दरवाजा लोहे का था उसने मीरा को धकेल दिया और दरवाजा बंद कर दिया। कमरे के अंदर मीरा ने देखा कि वहां और भी लड़कियां थी।
सबके चेहरों पर डर और मायूसी छाई हुई थी। मीरा ने उनके पास जाकर बात की और एक लड़की ने बताया कि विजय और उसके साथी उन्हें सब्जी मार्केट से उठाकर यहां लाए हैं। यह भी पता चला कि विजय एक गंदा धंधा चला रहा था। वो लड़कियों को किडनैप करता था।
उन्हें यहां बंद रखता था और फिर अलग-अलग शहरों के कोठों पर बेच देता था। मीरा का दिल धड़क उठा। लेकिन साथ ही उन्हें यह भी समझ आया कि वो अब इस रैकेट के बिल्कुल बीच में थी। अब मीरा के सामने एक बड़ा चैलेंज था ना सिर्फ खुद को बचाना बल्कि इन सब लड़कियों को भी आजाद कराना।
वो एक सीनियर पुलिस ऑफिसर थी। इसलिए उनके पास दिमाग और ट्रेनिंग दोनों थे। उन्होंने कमरे को गौर से देखा। वहां एक पुराना वेंटिलेशन डक्ट था जो शायद बाहर की तरफ जाता था। मीरा ने लड़कियों को अपने पास बुलाया और उन्हें अपनी असली पहचान बताई। उन्होंने कहा कि वो सब मिलकर यहां से निकल सकते हैं। बस हिम्मत और सहयोग चाहिए। लड़कियों के साथ मिलकर मीरा ने डक्ट को खोलने की कोशिश शुरू की।
यह काम आसान नहीं था। डक्ट पुराना था और उसका कवर जाम हो गया था। लेकिन मीरा ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक कोने में पड़ी एक पुरानी कील का इस्तेमाल किया और थोड़ी देर की मेहनत के बाद डक्ट का कवर खुल गया। अंदर एक संकरी सुरंग थी जिसकी दूसरी तरफ शायद आ जाती थी।
मीरा ने लड़कियों से कहा कि वो पहले जाएंगी और सुरंग के रास्ते को चेक करेंगी। वो सुरंग में घुसी। हाथ और घुटनों के बल रेंगती हुई आगे बढ़ी। थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बाहर की हल्की सी रोशनी दिखाई दी। सुरंग एक झाड़ी के पीछे खुल रही थी। मीरा वापस आई और लड़कियों को बताया कि यह उनका रास्ता है।