सुहाग रात के फूलों से सजे कमरे में अचानक चालू बंदर घुस आया और कुछ ही पलों में खुशी की रात खून और चीखों में बदल गई।

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सरपंच और गांव वाले इस बात से और भी गुस्से में आ गए। उन्होंने बंदर को मारने का प्लान और तेजी से बनाया। रात के अंधेरे में जब गांव सो रहा था, चालू बंदर चोरी करने आया। जैसे ही वह कमरे में घुसकर पैसे और केले लेने लगा, गांव वालों ने उसे घेर लिया। बंदर ने भागने की कोशिश की। अपने दांतों से काटने की कोशिश की।

लेकिन इस बार गांव वाले तैयार थे। उन्होंने उसे जाल में बांध दिया और सरपंच के सामने ले गए। सरपंच ने बंदर को गांव के बीच में खड़ा किया और सबके सामने उसे जान से मारने का हुकुम दिया। गांव वाले खुशी से चिल्लाए।

उन्हें लगा कि अब उनकी परेशानी खत्म होने वाली है। लेकिन तभी पारो वहां आई। उसके चेहरे पर दर्द और गम था। लेकिन उसने सरपंच के सामने खड़े होकर एक अजीब सी बात कही। उसने कहा सरपंच जी इस बंदर को मत मारिए। यह अब मेरे पति हैं और इनका बच्चा मेरे पेट में है।

यह सुनते ही गांव वाले हैरान रह गए और फिर जोर-जोर से हंसने लगे। उन्हें लगा कि पारो का दिमाग खराब हो गया है। सरपंच ने गुस्से में पारो को डांटा, तुम पागल हो गई हो क्या? यह बंदर तुम्हारा पति कैसे हो सकता है? तुम्हारा यह बच्चा गांव के लिए शर्मिंदगी है। उसने अपने आदमियों को हुकुम दिया कि पारो और उसके बच्चे को भी मार दिया जाए क्योंकि वह गांव के लिए एक कलंक बन गई थी। पारो ने देखा कि अब उसकी और बंदर की जान खतरे में है।

गांव वाले बंदर को बांधने में व्यस्त थे और इसी मौके का फायदा उठाकर पारो ने बंदर को छुड़ा लिया। वह बंदर को लेकर जंगल की तरफ भागी। अपने पैरों में जान डालकर दौड़ती चली गई। गांव वाले उन्हें रोकने के लिए पीछे दौड़े। लेकिन पारो और बंदर जंगल के घनेरे अंधेरे में गायब हो गए। गांव वालों ने उन्हें ढूंढने की बहुत कोशिश की।

जंगल के हर कोने में देखा। हर झाड़ी के पीछे झांका। लेकिन वह किसी को हाथ नहीं लगे। कोई नहीं जानता कि बार पारो और बंदर कहां गए या उनका क्या हुआ।

कुछ लोग कहते हैं कि वे जंगल में कहीं छुप गए और वहां उन्होंने अपनी अलग दुनिया बसा ली। कुछ लोगों का मानना है कि वे किसी सुरक्षित जगह पर जिंदगी गुजार रहे हैं। पर यह सब अफवाहें हैं। सच क्या है? यह एक रहस्य बनकर रह गया। इस तरह शांति नगर गांव में एक अजीब और भयानक कहानी लिखी गई।

चालू बंदर की आफत खत्म तो हो गई लेकिन बारो और उसके बच्चे का अंजाम क्या हुआ यह कोई नहीं जानता। गांव वाले आज भी उस रात को याद करते हैं और सोचते हैं कि शायद बारो और बंदर कहीं जिंदा हैं। अपनी कहानी को छुपा कर जी रहे हैं। यह घटना गांव के लिए एक अपराध, एक संघर्ष, एक रोमांच और एक गहरा रहस्य बनकर रह गई।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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