कमरा फूलों से सजा हुआ था और एक छोटी सी दीपक की रोशनी से पूरा माहौल प्यार से भर गया था। लेकिन यह प्यार और शांति ज्यादा देर नहीं टिक सकी। अचानक से कमरे का दरवाजा खुला और वहां चालू बंदर खदधा था। उसकी आंखों में एक वैशी चमक थी। जैसे वह किसी बद्ध अपराध का इरादा लेकर आया हो।
रमेश ने घबराते हुए उसे भगाने की कोशिश की। अपने हाथों से उसे धकेलने लगा। लेकिन बंदर ने एक झटके में उस पर हमला कर दिया। बंदर की ताकत घात से ज्यादा थी। उसने अपने नाखूनों और दांतों से रमेश को इतना घायल किया कि उसकी सांसे थम गई। पारो चीखती रही। अपने पति को बचाने के लिए हाथ पैर मारती रही।
लेकिन बंदर की दहशत के आगे वह बेबस थी। रमेश की लाश जमीन पर गिर गई और बंदर ने पारो की तरफ देखा। पारो ने खुद को छुपाने की कोशिश की। अपने हाथों से बंदर को रोकने की बेकार कोशिश की। लेकिन बंदर ने उसके साथ जोर जबरदस्ती की। पारो रोती रही। अपनी आवाज से मदद मांगती रही।
लेकिन बंदर अपना काम करके वहां से चला गया। पारो वहां अकेली पड़ी रही। अपने पति की लाश के पास अपने साथ हुए अन्याय और दर्द में डूबी हुई। सुबह होते ही यह खबर जंगल की आग की तरह गांव में फैल गई।
लोग रमेश के घर पर इकट्ठा हो गए और पारो की हालत देखकर सबके दिल धड़क उठे। रमेश की लाश देखते ही गांव का सरपंच जो उसका पिता भी था गुस्से से लाल हो गया। उसके बेटे की मौत और बहू के साथ हुई यह घटना उसके लिए एक दोहरा घाव थी। गांव वालों में भी गुस्सा भर गया और उन्होंने एक आवाज में फैसला किया कि इस बंदर को पकड़ कर सजा देनी होगी। सरपंच ने एक योजना बनाई।
एक कमरे में ढेर सारे पैसे, केले और खाने का सामान रखकर बंदर को लुभाया जाए। उन्हें पता था कि चालू बंदर चोरी के लालच में जरूर आएगा और तब वह उसे पकड़ लेंगे। गांव वालों ने अपने गुस्से को ठंडा करने के लिए इस योजना में दिल से हिस्सा लिया। कुछ दिन बाद पारो को एक अजीब सी बात पता चली। उसने महसूस किया कि वह गर्भवती हो गई है।
यह जानकर वह खुद हैरान रह गई क्योंकि उसकी शादी की पहली रात उसके पति के साथ नहीं बल्कि उस बंदर के साथ गुजरी थी। यह बात जब गांव वालों तक पहुंची तो पूरा गांव स्तंभित रह गया। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है।