एक दिन की बात है जब सूरज ढाल रहा था और चंद आगरा था तो सूरज ने चंद से पूछा प्रणाम क्यों नहीं करता ऐसा नहीं है भाई हर कोई एक जैसा नहीं होता कई लोग मुझे भी प्रणाम करते हैं और मैं तो जब भी उगता हूं तो सारी दुनिया मुझे जल चढ़ती है
और तुम्हें तो कोई भी जल नहीं चढ़ता सूरज और चंद्रमा की ये बातें बेलापुर गांव के लोग सन रहे द तभी एक आदमी ने कहा हम तो सिर्फ सूरज को ही भगवान मानते हैं
चंद हमारे लिए भगवान नहीं है नहीं ऐसी बात नहीं है हमें चंद को भी भगवान मानना चाहिए धूप देते हैं चंद हमें क्या देता है हर किसी का अलग अलग कम है
चंद्रमा भी हमें रात को रोशनी देता है हमें रात को रोशनी की जरूरत नहीं है पर चंद का होना भी जरूरी है अगर चंद नहीं भी होगा तो हमारी जिंदगी में कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा उसका होना और ना होना एक ही बराबर है इस आदमी और औरत की बात चंद और सूरज दोनों सन रहे द यह बातें सुनकर सूरज खुश हो गया और चंद्रमा थोड़ा
उदास हो गया सूरज ने चंद से कहा बेलापुर के लोग भी मुझे भगवान मानते हैं और तुम्हें कुछ भी नहीं यह लोग मेरी पूजा करते हैं पर मैं भी तो इन्हें रोशनी देता हूं अगर मैं ना रहूं
तो इन लोगों की जिंदगी अष्ट व्यस्त हो जाएगी कोई बात नहीं वैसे भी इन लोगों को तुम्हारी जरूरत नहीं अगर ऐसी बात है तो ठीक है
मैं आपसे आऊंगा ही नहीं चंद्रमा गुस्सा होकर वहां से चला जाता है चंद्रमा के जाने के बाद बेलापुर में रात को अंधेरा छा जाता है वैसे तो आसमान में कुछ तारे हैं











