उसकी यह दरिंदगी केवल रानियों तक सीमित ना थी। उसने अपनी दासियों को भी नहीं बख्शा। महल की हर नौकरानी उसकी हवस का शिकार थी। वह उन्हें अपने कक्ष में खींच लाता। उनकी मासूमियत को रौंद कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करता। रुकनाबाद का हर कोना उसकी क्रूरता की दास्तान सुनाता था।
जुलफरार की चार बेगम थी। जुलेखा, मीरा, जीना और झाला। ये चारों ऐसी सुंदरियां थी कि उनकी खूबसूरती चांद को भी मात देती थी। मगर उनके दिलों में जुल्फरार के लिए केवल और केवल घृणा थी। इन चारों को उसने धोखे और बल से अपनी बेगम बनाया था। जुलेखा जो एक छोटी रियासत की राजकुमारी थी।
उसे जुल्फरार ने युद्ध में हराने के बाद उसकी मां के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। जब उसकी मां ने इंकार किया तो उसने उसकी मां को क्रूरता से मार डाला और जुलेखा को अपने हरम में खींच लिया। मीरा एक विद्वान की बेटी थी जिसे जुल्फरार ने एक सभा में देखा और उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया।
उसने मीरा के पिता को धमकी दी कि अगर वह उसे अपनी बेगम ना बनाए तो वह पूरे गांव को जला देगा। डर के मारे मीरा को उसकी शादी के लिए हामी भरनी पड़ी। जीना एक व्यापारी की बेटी थी जिसे जुल्फरार ने एक व्यापारिक यात्रा के दौरान अगवा कर लिया और अपने महल में लाकर उससे जबरन निकाह किया और झाला जो एक जंगली कबीले की सरदार थी उसे जुल्फरार ने युद्ध में हराकर अपनी ताकत के बल पर अपनी बेगम बनाया ये चारों बेगम हालांकि एक ही महल में रहती थी मगर उनके दिलों में एक ही आग थी जुल्फरार से आजादी की चाह हर रात इनमें से एक को जुल्फरार के कक्ष में जाना पड़ता। वहां वह अपनी हवस को बेरहमी से पूरा करता।
वह उनकी देह को इस तरह नोचता जैसे कोई भूखा भेड़िया मांस को चीरता हो। वह उनके आंसुओं को देखकर हंसता और उनकी चीखों को अपनी जीत का तमघा समझता। चारों बेगमों ने आपस में एक गठजोड़ बना लिया था। वे एक दूसरे का सहारा बनकर इस नर्क में जी रही थी और मन ही मन जुल्फरार को खत्म करने की योजना बना रही थी।
उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य उस युग के सबसे सम्मानित और धर्मनिष्ठ शासक थे। उनकी महानता की गाथाएं सात समंदर पार तक गूंजती थी। वे ना केवल एक अपराजय योद्धा थे बल्कि एक ऐसे राजा भी थे जिनके लिए धर्म, जाति और समुदाय का कोई भेद ना था।