भीड़ में राखियां बेचती साधारण लड़की को कोई नहीं पहचान पाया सच यह था कि वह जिले की एसपी राधिका थी।

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कोठरी की दीवारें नम थी और हवा में एक सड़ांग भरी थी। तभी हवलदार उनके सामने आया। उसकी आंखों में एक विजेता की चमक थी। वो हंसते हुए बोला देखा मैंने कहा था ना कि यह मेरा इलाका है। अब तू यहां है और मैं तेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दूंगा। एक पुलिस वाले को बीच बाजार में धमकाने और हाथापाई के जुर्म में तुझे कम से कम 10 साल इस जेल में सड़ना होगा और तू कुछ नहीं कर पाएगी। उसकी बातों में एक क्रूर मजा था।

जैसे वह अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो। राधिका ने कमजोर आवाज में कहा तुम गलत कर रहे हो। मैंने कुछ गलत नहीं किया। उनकी आवाज में दर्द था लेकिन एक अजीब सा आत्मविश्वास भी हवलदार ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और कोठरी से बाहर चला गया। लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी। तभी जेल का इंस्पेक्टर वहां आया।

उसकी वर्दी साफ सुथरी थी और चाल में एक अकड़ थी। हवलदार ने कहा। सिर देखो आज एक और मछली ले आया हूं आपके लिए। सुंदर भी है। बीच बाजार में राखियां बेच रही थी। पैसे नहीं दिए मुझे तो उठाकर ले आया। अब आप बताओ क्या करना है इसके साथ? मैं तो कहता हूं आज मुझे इसके साथ रात बिताने दीजिए। एक ही रात में इसकी हेकड़ी निकाल दूंगा।

उसकी बातों में एक गंदी हंसी थी जो कोठरी की दीवारों से टकरा कर गूंज रही थी। इंस्पेक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा, “क्यों नहीं?” पहले देख तो लूं कि कैसी लड़की है। इंस्पेक्टर ने राधिका की ओर देखा और जैसे ही उसकी नजर उन पर पड़ी, उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसका ब्लड प्रेशर बढ़ गया और पसीना छूटने लगा। उसे पहचानने में एक पल भी नहीं लगा कि यह जिले की एसपी मैडम थी।

 उसने तुरंत हवलदार को एक जोरदार थप्पड़ मारा और राधिका को कोठरी से बाहर निकाला। फिर हाथ जोड़कर सलाम किया और माफी मांगने लगा। हवलदार ने हैरानी से पूछा। क्या हुआ सिर? आप इस लड़की को सलाम क्यों दे रहे हो? इंस्पेक्टर ने गुस्से में कहा, जिसे तू उठाकर यहां ले आया है, वह जिले की एसपी मैडम है।

यह सुनते ही हवलदार के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसकी आंखें चौड़ी हो गई और वह शौक में बेहोश होकर गिर पड़ा। थोड़ी देर बाद जब हवलदार को होश आया तो उसने राधिका के पैर पकड़ लिए और माफी मांगने लगा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राधिका ने पहले ही अपने फोन से सारी बात रिकॉर्ड कर ली थी और ऊपरी अधिकारियों को सूचना दे दी थी। कुछ ही घंटों में हवलदार और इंस्पेक्टर दोनों के सस्पेंशन लेटर पर उनके हस्ताक्षर हो चुके थे।

मार्केट में अवैध वसूली और लड़कियों को छेड़ने के जुर्म में दोनों को 20 साल की सजा सुनाई गई। राधिका ने अपनी सूझबूझ और साहस से ना सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर किया बल्कि यह भी दिखाया कि सच्चाई और न्याय की राह पर चलने वाले कभी हार नहीं मानते। यह कहानी खत्म हुई लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश हमेशा जिंदा रहेगा। अंधेरे में भी एक रोशनी होती है जो सही वक्त पर सब कुछ साफ कर देती है। 

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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