गाँव के किनारे रहता था शंकर। एक सीधा-सादा किसान। उसकी ज़िंदगी खेत, बैल और छोटी-सी बेटी गौरी के इर्द-गिर्द घूमती थी

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रहस्यमय रात

उस रात शंकर सो नहीं पाया। बार-बार वही आवाज़ कानों में गूँजती रही। आधी रात को उसने लालटेन उठाई और अकेले कुएँ की तरफ़ निकल पड़ा।

गाँव सो रहा था। हवा में डरावनी सीटी बज रही थी। शंकर ने कुएँ की दीवार पर कान लगाया। फिर वही फुसफुसाहट—
“सच जानना है तो नीचे उतर आ…”

उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

कुएँ का अंधेरा

अगली रात उसने रस्सी डाली और कुएँ में उतरने का साहस किया। नीचे पहुँचते ही उसे लगा मानो कोई दूसरी ही दुनिया है। कुएँ के भीतर एक पुराना तहखाना बना हुआ था।

दीवारें सीलन से भीगी थीं। लालटेन की रोशनी में उसने देखा—एक औरत जंजीरों से बँधी बैठी थी। उसके बाल बिखरे, आँखें लाल, शरीर हड्डियों का ढाँचा।

वह काँपती आवाज़ में बोली—
“मैं तेरी बेटी नहीं हूँ। मैं इस गाँव की बहू हूँ… सालों से यहाँ कैद हूँ।”

शंकर का कलेजा मुँह को आ गया।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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