पहली बार जब मैंने अपनी पत्नी को आधी रात को लाल गाउन में देखा, तो मुझे लगा कि यह कोई सपना है। कमरे में अँधेरा था, बाहर बारिश हो रही थी और खिड़की से आती चाँदनी उसकी आकृति पर पड़ रही थी। वह खड़ी थी, बिल्कुल चुप, और उसके शरीर पर गहरे लाल रंग का गाउन था—इतना गहरा कि लगा जैसे कपड़ा नहीं बल्कि खून से रंगा हुआ हो।
मैं घबरा गया। मैंने धीरे से कहा, “रिया… तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
उसने मेरी तरफ़ देखा लेकिन उसकी आँखें वैसी नहीं थीं जैसी मैं रोज़ देखता था। उनमें एक अजीब सी चमक थी, ठंडी और डराने वाली। उसने कुछ नहीं कहा, बस हल्की सी मुस्कुराई और अलमारी का दरवाज़ा खोला। मेरी आँखों के सामने वह अंधेरे में गायब हो गई।
सुबह उठकर मैंने खुद को समझाया कि यह सपना होगा। लेकिन जब मैंने फर्श पर नज़र डाली, तो वहाँ लाल कपड़े का एक छोटा सा टुकड़ा पड़ा था। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
अगली रात मैंने तय किया कि चाहे कुछ भी हो, मैं जागता रहूँगा। जैसे ही घड़ी ने बारह बजाए, रिया उठी और सीधी अलमारी के पास गई। मैंने देखा कि दरवाज़ा अपने आप चरमराकर खुला और उसके पीछे काले अंधेरे का रास्ता फैल गया। मैं भागकर उसके पास पहुँचा और उसका हाथ पकड़ लिया।
“रिया, तुम कहाँ जाती हो?” मेरी आवाज़ काँप रही थी।
उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह बोली, “तुम नहीं समझोगे। अगर तुमने मुझे रोका तो हम दोनों कभी सुबह नहीं देख पाएँगे।”












