मोहनलाल ने सोचा कि बच्चों को कुछ समय के लिए गाँव भेज दे। उसके पैतृक गाँव में दादा-दादी, चाचा-चाची और उनके बच्चे रहते थे।

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इसी बीच, गाँव में आराध्या की चचेरी बहन सौम्या के फोन पर एक ऑडियो मैसेज आया। जब उसने चार घंटे बाद फोन चेक किया तो उसमें आराध्या की घबराई हुई आवाज़ थी—“पापा और कनिष्क को अनूप ने मार डाला… मुझे बचा लो।”

ये शब्द सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। मोहनलाल का भाई तुरंत अपने परिचित को, जो रेलवे कॉलोनी में ही रहता था, फोन करता है और कहता है कि पुलिस बुलाकर ताला तोड़ो।

पुलिस आई और ताला तोड़ा गया। अंदर का नज़ारा देख सबकी रूह कांप गई। कमरे के फर्श पर खून बिखरा था। वहीं मोहनलाल की लाश पड़ी थी। उसके सिर पर कपड़े और कॉटन लपेटे गए थे ताकि खून बाहर न फैले।

घर की तलाशी में फ्रीज का दरवाज़ा खुला और पुलिस की आँखें फटी की फटी रह गईं। अंदर कनिष्क की लाश खून से लथपथ हालत में पड़ी थी। खून जम चुका था। रसोई में खाना खाने के बाद झूठे बर्तन पड़े थे, मानो किसी ने हत्या के बाद आराम से भोजन किया हो। कमरे में जली हुई अगरबत्तियाँ थीं—शायद बदबू छुपाने के लिए।

पूरा मामला साफ था कि हत्याकांड बहुत सोच-समझकर किया गया है।

पुलिस को पहला सुराग मिला आराध्या के ऑडियो मैसेज से—अनूप नाम का लड़का। जांच आगे बढ़ी तो सीसीटीवी कैमरों ने सच उजागर करना शुरू किया। दो दिन पहले अनूप को आधी रात मोहनलाल के घर से निकलते देखा गया था। उसके बैग में भारी सामान था। एक घंटे बाद कैमरे में आराध्या भी उसी दिशा में जाती दिखी।

जांच और गहरी हुई। अनूप और आराध्या को रेलवे स्टेशन तक ट्रैक किया गया। वहां दोनों एक बस पकड़ते दिखे, जिसमें “जय बालाजी महाराज” लिखा था। कंडक्टर से पूछताछ में पता चला कि उन्होंने कटनी की टिकट ली थी, मगर बीच रास्ते में यह कहकर उतर गए कि उन्हें दवा लेनी है।

पुलिस वहां पहुंची, कैमरे चेक किए, तो सामने आया कि उन्होंने फिर दूसरी बस पकड़ी। मगर इस बार बीच रास्ते एक सुनसान जगह पर उतर गए। वहां न तो कोई होटल था, न घर। पुलिस के हाथ खाली रहे।

दिन बीतते गए। जांच के साठ दिन हो चुके थे। इस बीच अनूप और आराध्या दोनों फरार रहे। पुलिस ने मोहनलाल का बैंक अकाउंट सीज कर दिया। अब उनके पास पैसे खत्म हो गए थे। कभी मंदिर में खाना खाते, कभी गुरुद्वारे में। रात गुजारने के लिए अस्पताल की बेंच पर मरीज के अटेंडर बनकर सो जाते।

यही उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई।

एक दिन एक महिला पुलिसकर्मी किसी और केस के सिलसिले में अस्पताल गई। उसने देखा कि एक लड़का और लड़की बाहर बेंच पर सोए हैं। शक हुआ तो मोबाइल में क्रिमिनल की तस्वीरें देखीं। वह चौक गई—ये वही वांटेड अपराधी थे। तुरंत लोकल पुलिस को बुलाया गया।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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