हर कट के साथ उसकी सांसे तेज होती गई और उसकी आंखों में आंसू और गुस्सा एक साथ थे। आखिर में उसने सिर को काटा। इंस्पेक्टर का चेहरा अब भी उसे घूर रहा था। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकता था। मीरा ने इन टुकड़ों को प्लास्टिक की थैलियों में पैक किया। उसका पूरा शरीर खून से सना हुआ था और उसका मन एक अजीब से खालीपन से भर गया था। रात के अंधेरे में मीरा अपनी स्कूटी लेकर निकली।
उसने शरीर के टुकड़ों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में फेंकने का फैसला किया। एक थैली को उसने एक निर्माणाधीन इमारत के गड्ढे में डाला। जहां मजदूर अगली सुबह उसे कंक्रीट में दबा देंगे। दूसरी को एक गंदी नाली में फेंका। जहां चूहे और गंदगी उसे नष्ट कर देंगे। तीसरी को उसने यमुना नदी में बहा दिया। जहां पानी उसे दूर ले गया। आखिरी थैली को उसने एक कूड़ेदान में डाला।
जहां आवारा कुत्ते पहले ही उस पर टूट पड़े। हर बार जब वो एक थैली फेंकती उसे लगता कि कोई उसे देख रहा है। वो पीछे मुड़ती लेकिन वहां सिर्फ अंधेरा होता। इस सब के बाद मीरा अस्पताल लौटी। उसकी मां अभी भी कोमा में थी, लेकिन उसकी सांसे धीमी हो रही थी। मीरा ने अपनी मां के बिस्तर के पास बैठकर उसे सब कुछ बताया।
उसने कहा कि उसने इंस्पेक्टर को मार डाला और अब वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। तभी एक चमत्कार हुआ। लीला की आंखें खुली। उसने कमजोर हाथ से मीरा को छुआ और उसे खुद को पुलिस के हवाले करने को कहा। लीला की आवाज में दर्द था लेकिन एक मां का प्यार भी था। मीरा रो पड़ी और अपनी मां की बात मानने का वादा किया। इसके कुछ ही पलों बाद लीला की सांसे थम गई। अगली सुबह मीरा पुलिस स्टेशन पहुंची।
वहां एक नया इंस्पेक्टर था जिसने उसकी बात सुनी। मीरा ने सब कुछ कबूल कर लिया। कैसे उसने इंस्पेक्टर को मारा। उसके शरीर को टुकड़ों में काटा और उन्हें कहां-कहां फेंका। उसने कहा कि वह अपनी सजा स्वीकार करने को तैयार है। पुलिस ने उसकी कहानी पर यकीन नहीं किया।
लेकिन जब उन्होंने जांच शुरू की तो उन्हें शरीर के टुकड़े मिल गए। एक गड्ढे से हाथ निकला। नदी से एक पैर बरामद हुआ और कूड़ेदान में सिर पाया गया। यह सबूत इतने भयानक थे कि पुलिस भी सन्न्य रह गई। मीरा को गिरफ्तार कर लिया गया। कोर्ट में उसने अपना गुनाह कबूल किया और उसे 40 साल की सजा सुनाई गई।
जेल में मीरा ने अपनी मां की याद में एक छोटा सा पूजा स्थल बनाया। वो हर दिन प्रार्थना करती कि उसकी मां की आत्मा को शांति मिले। उसे अपने किए पर पछतावा था। लेकिन एक कोने में उसे लगता था कि उसने अपनी मां के लिए न्याय किया था। भले ही वह तरीका गलत था।
यह कहानी एक मां और बेटी के प्यार, अन्याय और बदले की आग की कहानी थी जो एक खूनी और दर्दनाक अंत तक पहुंची। मीरा की जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे बीत रही थी। लेकिन उसकी मां की आत्मा शायद अब आजाद थी। अगर आपको हमारी मेहनत और यह वीडियो पसंद आई तो एक लाइक जरूर करें। ऐसी और बढ़िया-बढ़िया वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल को करें सब्सक्राइब और कमेंट में बताइए आपको वीडियो कैसी लगी। मिलते हैं अगली वीडियो में। तब तक के लिए बाय। हम्म।