तभी एक आरपीएफ का कांस्टेबल वहां पहुंचा। उसने तुरंत ईशा को ट्रैक से उठाकर प्लेटफार्म पर लाया। ईशा ने कांस्टेबल को पूरी कहानी सुनाई। उसने बताया कि टीटी उससे जबरदस्ती रिश्वत मांग रहा था और उसने टिकट होने के बावजूद उसे ट्रेन से धक्का दे दिया। टीटी ने अपनी सफाई में कहा कि ईशा बिना टिकट यात्रा कर रही थी और झूठ बोल रही थी।
ईशा ने कांस्टेबल को अपने पति का नंबर दिया जो उसे याद था। उसने कहा कि वो उसके पति से बात कर ले। कांस्टेबल ने तुरंत नंबर डायल किया। दूसरी तरफ फोन उठा और जब कांस्टेबल ने ईशा के पति से बात की तो उसे पता चला कि ईशा का पति कोई साधारण इंसान नहीं बल्कि सेना में कर्नल की रैंक पर तैनात विक्रम चावला था।
यह सुनकर टीटी के चेहरे का रंग उड़ गया। उसे अपनी नौकरी खतरे में नजर आने लगी। कांस्टेबल ने कर्नल को सारी घटना बताई। कर्नल को गुस्सा आ गया। उसने तुरंत अपनी पत्नी की टिकट की डिटेल्स कांस्टेबल को भेज दी। जिससे साबित हो गया कि ईशा की टिकट बुक थी। कर्नल ने सख्त लहजे में कहा कि टीटी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई होनी चाहिए। कांस्टेबल ने उन्हें भरोसा दिलाया और फोन रख दिया।
उसने टीटी के टैबलेट को चेक किया। कोच एस टू सीट नंबर चार पर ईशा चावला का नाम साफ-साफ लिखा था। टीटी की सारी हेकड़ी अब हवा हो चुकी थी। कांस्टेबल ने उसे तुरंत हिरासत में लिया और रिश्वतखोरी के इल्जाम में उसे पुलिस स्टेशन भेज दिया। ईशा अब थोड़ा शांत थी मगर उसका मन अभी भी उथल-पुथल में था।
कांस्टेबल ने उससे माफी मांगी और कहा कि वो उसे सुरक्षित अजमेर पहुंचा देगा। उसने अपनी पुलिस जीप में ईशा को बिठाया और इज्जत के साथ उसे अजमेर तक छोड़ दिया। ईशा ने राहत की सांस ली। उसकी हिम्मत और सच की ताकत ने उसे इस मुसीबत से निकाल लिया था। दूसरी ओर टीटी को रिश्वतखोरी और बदतमीजी के जुर्म में कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई। उसकी नौकरी छीन गई और उसका रौबदार चेहरा अब शर्मिंदगीगी में डूब चुका था।
ईशा की कहानी स्टेशन पर मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। लोग उसकी हिम्मत की तारीफ करने लगे। एक साधारण सी महिला ने ना सिर्फ अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि एक भ्रष्ट टीटी को भी सबक सिखा दिया। ईशा जब अजमेर पहुंची तो कर्नल विक्रम उसे लेने स्टेशन पर मौजूद थे। उसने अपनी पत्नी को गले लगाया और उसकी हिम्मत की दाद दी। ईशा ने मुस्कुराते हुए कहा कि वो सिर्फ अपने हक के लिए लड़ी थी। इस घटना ने न सिर्फ ईशा को और मजबूत बनाया बल्कि यह साबित कर दिया कि सच और हिम्मत के सामने कोई भी रुकावट ज्यादा देर टिक नहीं सकती।