उसने ईशा की ओर देखा और टिकट मांगा। ईशा ने अपनी पूरी कहानी उसे सुना दी। उसने बताया कि उसकी टिकट उसके फोन में थी जो ट्रेन में चढ़ते वक्त प्लेटफार्म पर गिर गया। उसने टीटी से विनती की कि वो अपने रिकॉर्ड में चेक कर ले। उसका नाम ईशा चावला है। कोच एस टू सीट नंबर चार। टीटी ने अपने टैबलेट में कुछ देखा। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने ईशा की बात को अनसुना करते हुए कहा कि कोच एस2 में कोई ईशा चावला नाम का यात्री नहीं है।
ईशा का दिल जोर से धड़का। उसने फिर से समझाया कि उसके पति ने टिकट बुक की थी और वो झूठ नहीं बोल रही। मगर टीटी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। उसने ईशा पर बिना टिकट यात्रा करने का इल्जाम लगाया और कहा कि उसे ₹10,000 का जुर्माना देना होगा। ईशा घबरा गई। उसने डीटी से कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं है।
उसने फिर से जोर देकर कहा कि उसकी टिकट बुक थी और वो अगले स्टेशन पर अपने कोच में चली जाएगी। मगर डीटी ने उसकी एक ना सुनी। उसने कहा जितने पैसे हैं उतने तो दो। ईशा को अब समझ आ गया था कि टीटी उससे रिश्वत मांग रहा था। उसका खून खौल उठा। उसने टीटी का विरोध किया और कहा कि वो उसकी शिकायत कर देगी। टीटी को गुस्सा आ गया। उसका चेहरा लाल हो गया और उसने ईशा को धमकाया। तभी ट्रेन अगले स्टेशन पर रुकी।
गुस्से में आगाबुला टीटी ने ईशा को ट्रेन से धक्का दे दिया और चिल्लाया। जब तक तुम टिकट नहीं दिखाओगी इस ट्रेन में वापस नहीं चढ़ सकती। ईशा संभली मगर उसका गुस्सा अब हद पार कर चुका था। उसने टीटी को जोरदार थप्पड़ चढ़ दिया। प्लेटफार्म पर हंगामा मच गया। यात्रियों की भीड़ जमा हो गई। लोग ईशा और टीटी को घेर कर खड़े हो गए। कुछ लोग ईशा के पक्ष में बोलने लगे तो कुछ टीटी का साथ देने लगे। टीटी ने गुस्से में ईशा का हाथ पकड़ा और उसे फिर से धक्का दे दिया। इस बार ईशा संतुलन खो बैठी और रेलवे ट्रैक पर जा गिरी। भीड़ में अफरातफरी मच गई।