शाम ढलते ढलते वे हिल्स ऑफ साइलेंस पहुंचे। रिसोर्ट का माहौल ठंडा और भारी था। लकड़ी का केबिन पुराना था। उसकी दीवारों पर नमी की गंध थी। आसपास घना जंगल था और कोहरे ने सब कुछ धुंधला कर दिया था। मैनेजर एक अधेड़ उम्र का आदमी जिसका नाम प्रकाश था उन्हें चाबी देता हुआ बोला यहां रात को बाहर मत निकलना।
कई साल पहले एक जोड़ा यहां ठहरा था। उनकी लाश जंगल में मिली थी बिना सिर के। लोग कहते हैं उनकी आत्माएं अभी भी भटकती हैं। राहुल ने हंसकर कहा अच्छी कहानी है भाई। लेकिन प्रिया चुप रही। उसने मैनेजर को गौर से देखा जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रही हो।
पहले दिन दोनों ने आसपास घूमने का फैसला किया। जंगल में एक पुराना कब्रिस्तान था। कब्रों पर नाम नहीं थे। सिर्फ पत्थर बिखरे थे। प्रिया एक कब्र के पास रुक गई और बोली यहां कोई है? राहुल ने मजाक में कहा हां भूत तुम्हें चाय पिलाने आएंगे। लेकिन प्रिया ने गंभीरता से कहा मुझे उसकी आवाज सुनाई दे रही है।
राहुल ने उसे कंधे पर थपथपाया और आगे बढ़ गया। लेकिन प्रिया वहीं खड़ी रही। रात को जब वे सोने की तैयारी कर रहे थे बाहर से अजीब आवाजें आई। पहले हवा की सिसकारी फिर जैसे कोई रो रहा हो। राहुल ने कहा जंगल की आवाजें हैं लेकिन प्रिया बेचैन हो गई। उसने खिड़की की ओर देखा और कहा कोई मुझे देख रहा है।
राहुल ने खिड़की खोली। बाहर सिर्फ कोहरा था। उसने प्रिया को गले लगाया और कहा सो जाओ कुछ नहीं है। लेकिन प्रिया की नींद में भी वह बड़बड़ा रही थी। उसे मार दो। वह खतरा है। अगले दिन वे ट्रैकिंग के लिए निकले। जंगल में पेड़ों की छाव थी और हवा में एक सड़ांत सी गंध। रास्ते में एक चट्टान पर प्रिया का पैर फिसला। वह नीचे गिरते-गिरते बजी। राहुल ने उसे पकड़ लिया। उसका चेहरा पीला पड़ गया।
वापसी में उसने पेड़ों के बीच एक काली छाया देखी। राहुल वहां देखो। उसने चिल्लाया। राहुल ने देखा। उसने कहा तुम्हें भ्रम हो रहा है। लेकिन प्रिया की सांसे तेज थी और उसकी आंखों में डर नहीं बल्कि एक अजीब चमक थी। दूसरी रात को डिनर के बाद प्रिया और राहुल में बहस हुई। राहुल ने कहा, तुम पूरे दिन उदास क्यों रहती हो? यह हमारा हनीमून है।
प्रिया चिल्लाई। तुम मुझे समझते ही नहीं। तुम्हें लगता है मैं पागल हूं। राहुल ने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन प्रिया की आंखों में आग थी।
वह कमरे से बाहर निकल गई और जब लौटी तो उसने कहा, “हें यहां से चले जाना चाहिए।” राहुल ने सहमति दी, लेकिन अगली सुबह उनकी कार स्टार्ट नहीं हुई। मैनेजर ने कहा, मैकेनिक कल आएगा। मजबूरन उन्हें एक और रात रुकना पड़ा। रात के 2:00 बजे जब चारों ओर सन्नाटा था। प्रिया चुपचाप उठी। उसने अपने बैग से एक छोटी शीशी निकाली।