एक एयर होस्टेस उसका रास्ता रोकने की कोशिश करती है। वह चीखती है, रुक जाओ, तुम क्या कर रहे हो? अहमद उसकी ओर मुड़ता है और बिना पलक झपकाए अपनी जेब से चाकू निकालता है। एक पल में वह एयर होस्टेस की गर्दन पर वार करता है। खून की धार फर्श पर फैल जाती है।
उसका शरीर ठंडा पड़ जाता है और यात्री चीख उठते हैं। अहमद दरवाजा खोलता है और पायलट के केबिन में घुस जाता है। पायलट घबरा कर कहता है, तुम कौन हो? यहां से निकल जाओ। लेकिन अहमद जवाब नहीं देता। वह अपनी जेब से पिस्तौल निकालता है और पायलट के सिर पर गोली मार देता है। खून की छींटें कांच पर फैल जाती हैं। को पायलट कुछ करने की कोशिश करता है। लेकिन अहमद उसकी छाती में चाकू ठोक देता है।
दोनों की लाशें केबिन में गिर पड़ती हैं। अब हवाई जहाज अनियंत्रित है। यह तेजी से नीचे गिर रहा है। यात्री समझ चुके हैं कि अब कोई उम्मीद नहीं बची। राहुल और प्रिया एक दूसरे को कस कर पकड़ते हैं। प्रिया रोते हुए कहती है, राहुल मैं डर रही हूं। राहुल जवाब देता है, मैं तुम्हारे साथ हूं प्रिया। मैं तुमसे प्यार करता हूं और उनकी आंखें बंद हो जाती हैं। श्री कुमार अपनी जेब से अपने बच्चों की तस्वीर निकालते हैं। वह उसे देखते हैं और फुसफुसाते हैं।
मुझे माफ कर देना। मैं तुम्हारे लिए और वक्त नहीं निकाल पाया। विजय अपनी सीट पर कांप रहा है। वह चीखता है। कोई हमें बचाओ। लेकिन कोई नहीं सुन रहा। सुनीता प्रार्थना कर रही है। हे भगवान हमें बचा लो। लेकिन भगवान भी शायद आज चुप है। अहमद केबिन से बाहर आता है।
वह खड़ा होकर यात्रियों को देखता है और हंसता है, तुम सब मेरे साथ मरोगे। उसकी हंसी हवाई जहाज में गूंजती है। हवाई जहाज अब जमीन की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यात्री चीख रहे हैं, रो रहे हैं, एक दूसरे को पकड़ रहे हैं। कुछ अपने फोन निकाल कर आखिरी बार अपने परिवार को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सिग्नल नहीं है। कांच की खिड़कियों से बाहर बादल तेजी से गुजर रहे हैं।
हवाई जहाज का अगला हिस्सा आग की लपटों में गिर जाता है। अंदर का तापमान बढ़ रहा है। सीटें हिल रही हैं। सामान इधर-उधर गिर रहा है। हवाई जहाज जमीन से टकराता है। धातु के टुकड़े हवा में उड़ते हैं। आग की लपटें चारों ओर फैल जाती हैं। खून, मांस और हड्डियां मलबे में दब जाती है। कोई चीख नहीं, कोई आवाज नहीं। सिर्फ सन्नाटा।