श्री कुमार अपने पड़ोसी से कहते हैं मैंने अपने बिजनेस को जीरो से शुरू किया था। आज मेरे पास सब कुछ है। पैसा नाम शहरत। बस अपने बच्चों के लिए थोड़ा और वक्त चाहिए।
उनकी आंखों में एक पछतावा है। जो शायद अब कभी पूरा ना हो। लेकिन अहमद चुप है। वह बस सुन रहा है। देख रहा है। एक यात्री विजय उसके पास बैठा है। उसे अहमद के बैग से हल्की सी गंध आती है। विजय पूछता है भाई तुम्हारे बैग में क्या है? कुछ अजीब सा लग रहा है। अहमद का चेहरा सख्त हो जाता है।
वह ठंडे लहजे में कहता है, तुम्हें इससे क्या मतलब? अपनी सीट पर बैठो। विजय डर जाता है और चुपचाप अपनी जगह पर लौट जाता है। लेकिन उसका शक गहरा हो गया है। उड़ान शुरू हुए 40 मिनट हो चुके हैं। अचानक एक जोरदार धमाका होता है। पूरा हवाई जहाज हिल जाता है। यात्री अपनी सीटों से उछल पड़ते हैं और चीख पुकार मच जाती है।
प्रिया चिल्लाती है राहुल ये क्या था? राहुल उसे कसकर पकड़ता है और कहता है शांत रहो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन ठीक होने वाला कुछ भी नहीं है। तभी अहमद अपनी सीट से उड़ता है। उसकी आवाज गूंजती है। सब लोग शांत रहें। यह उड़ान अब मेरे कब्जे में है। मैं एक आतंकवादी हूं और मेरे पास बम है। उसके हाथ में एक रिमोट है और उसकी उंगलियां ट्रिगर पर है। वह आगे कहता है, अगर किसी ने हिलने की कोशिश की तो मैं इसे अभी फोड़ दूंगा।
हवाई जहाज में सन्नाटा छा जाता है। सांसे थम जाती हैं। प्रिया की आंखों से आंसू बह रहे हैं। श्री कुमार अपना लैपटॉप बंद कर देते हैं और सोचते हैं क्या यह मेरा आखिरी दिन है? विजय जो पहले अहमद से सवाल कर चुका था। अब पछतावा कर रहा है। उसे समझ आ गया है कि उसने गलत इंसान से पंगा लिया।
अहमद हंसता है। वह कहता है आज तुम सब मेरे मिशन का हिस्सा बनोगे। यह उड़ान आसमान से नीचे गिरेगी। और इसके साथ तुम सब भी खत्म हो जाओगे। उसकी आवाज में कोई दया नहीं है, कोई मानवता नहीं। वह धीरे-धीरे पायलट केबिन की ओर बढ़ता है।