हवाई जहाज ने अभी-अभी उड़ान भरी है। सीटों पर यात्री अपनी-अपनी दुनिया में खोए हुए हैं। सामने की पंक्ति में एक युवा जोड़ा है राहुल और प्रिया। आज उनकी शादी की सालगिरह है। राहुल प्रिया से कहता है प्रिया यह हमारी सबसे अच्छी सालगिरह होगी। प्रिया मुस्कुराती है और जवाब देती है, हां राहुल मैं बहुत उत्साहित हूं। उनकी आंखों में भविष्य के सपने चमक रहे हैं। पिछली सीट पर एक व्यापारी श्री कुमार अपने लैपटॉप पर व्यस्त है।
वह अपने सहायक को फोन पर कहते हैं, हां, मुंबई पहुंचते ही मीटिंग फिक्स कर देना। यह डील बहुत बड़ी है। और फिर खिड़की के पास एक अकेला यात्री बैठा है।
अहमद, वह चुप है। बहुत चुप। उसका चेहरा शांत है। वह अपने बैग को बार-बार छूता है। जैसे उसमें कोई कीमती चीज हो। वह बुदबुदा रहा है। शायद कोई दुआ, शायद कोई योजना। कोई नहीं जानता कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। उड़ान शुरू हुए अभी 20 मिनट ही हुए हैं कि कुछ अजीब होने लगता है।
एक यात्री सुनीता जो राहुल और प्रिया के पास बैठी है। अचानक चक्कर खाकर अपनी सीट पर गिर पड़ती है। उसका चेहरा पीला पड़ जाता है और वह बेहोश हो जाती है। प्रिया घबरा कर चीखती है। कोई मदद करो। इन्हें क्या हुआ? एक एयर होस्टेस दौड़ कर आती है और सुनीता को होश में लाने की कोशिश करती है। लेकिन सुनीता की सांसे धीमी है। बहुत धीमी। तभी एक दूसरा यात्री रमेश अपनी सीट से उठता है और कहता है मुझे कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दी। क्या आपको भी लगा? कुछ लोग हां में सिर हिलाते हैं।
कुछ बेचैन होकर इधर-उधर देखने लगते हैं। पायलट की आवाज स्पीकर से आती है। कृपया शांत रहें। सब कुछ ठीक है। यह सिर्फ इंजन की सामान्य आवाज थी। लेकिन उसकी आवाज में एक हल्की सी कांप सुनाई देती है। क्या वह कुछ छिपा रहा है? अहमद खिड़की के पास बैठा मुस्कुराता है।
वह जानता है कि असली खेल अभी शुरू भी नहीं हुआ है। समय बीतता है और हवाई जहाज अब ऊंचाई पर है। यात्री एक दूसरे से बातें कर रहे हैं। शायद अपनी घबराहट को छिपाने की कोशिश में। राहुल और प्रिया अपनी प्रेम कहानी सुना रहे हैं। राहुल कहता है हम कॉलेज में मिले थे और बस दिल धड़क उठा। प्रिया हंसती है और कहती है हां और फिर तुमने मुझे कॉफी के लिए पूछा। वह हमारी पहली डेट थी।