अमरेंद्र ने अपनी साँसें रोक लीं, जलपरी को लगा कि वो मर चुका है लेकिन जैसे ही चाकू उसकी छाती पर रखा गया, उसकी आँखें खुलीं और पिस्तौल चमक उठी।

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धानवाड़ी गांव जो कभी अपनी हरीभरी खेतों और नदी के किनारे बसी शांति के लिए जाना जाता था। अब भय के साए में डूब चुका था। पिछले कुछ सालों में यहां अपराध की लहर ने जड़े जमा ली थी। लोग रात को अपने घरों से निकलने से डरते थे। गांव की गलियों में फुसफुसाहटें थी कि कोई अज्ञात शक्ति लोगों को निगल रही हो।

कोई आता था और फिर कभी नहीं लौटता। गांव के लोग डर के मारे चुप थे। लेकिन उनके मन में सवाल बेकरार था। आखिर लोग जा कहां रहे थे? कोई लाश नहीं, कोई सुराग नहीं। बस सन्नाटा। इसी गांव में रहता था हर प्रसाद। एक 60 साल का मछुआरा। जिसकी जिंदगी नदी के किनारे मछलियां पकड़ने और उन्हें बाजार में बेचने के इर्द-गिर्द घूमती थी।

उसकी जिंदगी सादगी भरी थी। सुबह नदी, दोपहर बाजार और रात को अपनी पत्नी सावित्री के साथ छोटे से मिट्टी के घर में सुकून। हरिप्रसाद का चेहरा मौसम की तरह रूखा था।

लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। जैसे उसे जिंदगी से अभी भी कोई उम्मीद बाकी थी। सावित्री उसकी हम उम्र पत्नी उसका साथ निभाती थी। दोनों की जिंदगी में प्यार था लेकिन गरीबी का दंश भी कम नहीं था। एक दिन हर प्रसाद अपनी पुरानी लकड़ी की नाव लेकर नदी पर निकला। उस दिन मछलियां कम थी और वह अपनी किस्मत आजमाने नदी के उस हिस्से में चला गया जहां आमतौर पर कोई नहीं जाता था। नदी का वह हिस्सा गहरा था।

पानी काला सा और किनारे पर जंगल का सन्नाटा। हरिप्रसाद ने अपनी नाव को धीरे-धीरे खेता जैसे उसे कोई अनजानी पुकार बुला रही हो। तभी पानी में एक हलचल हुई। हरिप्रसाद की सांसे थम गई। पानी के बीच से एक आकृति उभरी। लंबे चमकीले बाल, चांद सी चमकती त्वचा और आंखें जो मानो सागर की गहराई को समेटे थी।

वह एक जलपरी थी। हरिप्रसाद का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने सुना था कि जलपरियां सिर्फ कहानियों में होती हैं। लेकिन यह तो उसके सामने थी। उसकी सुंदरता ऐसी थी कि हर प्रसाद की आंखें उससे हट नहीं रही थी।

जलपरी ने उसका हाथ पकड़ा। उसकी उंगलियां ठंडी थी जैसे बर्फ। उसने धीमी सम्मोहक आवाज में कहा कि वो 500 साल से इस नदी में रह रही है और उसे किसी को अपने बारे में नहीं बताना है। हरि प्रसाद जो अब तक डर और आश्चर्य के बीच झूल रहा था। मैंने पूछा जलपरी तो सिर्फ कहानियों में होती है। तुम कौन हो? जलपरी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। उसने बताया कि नदी के उस पार जहां कोई इंसान नहीं जाता। एक प्राचीन खजाना छिपा है।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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