किसी गांव में बिरजू नाम का एक आदमी अपनी पत्नी सरिता के साथ रहा करता था बिरजू बहुत मेहनती था और बहुत अच्छा इंसान भी था उसके पास घर का गुजारा करने के लिए एक गाय थी जो इतना दूध दे दिया करती थी जिससे बिरजू और उसकी पत्नी को दो वक्त की रोटी मिल जाया करती सुबह शाम गांव के लोग बिरजू के पास दूध लेने आया करते थे अरे
बिरजू भैया मेरी पड़ोसन पूछ रही थी कि आपके यहां और दूध बचता है क्या नहीं काकी अभी तो दूध नहीं बेचता क्यों क्या हुआ अरे तुम्हारी गाय का दूध इतना अच्छा है कि उसके यहां एक दिन खीर क्या बनाकर भेज दी वो पीछे ही पड़ गई है कि उसे भी यहीं से दूध लेना है अरे काकी अब एक ही तो गाय है इस पर कितना ही जोर डाल सकता हूं हां बहन जी यह बात तो सही है बिरजू की गाय का दूध है
तो बहुत बढ़िया गांव वाले दूध लेकर चले गए और तभी वहां पर बिरजू की पत्नी सरिता आ गई क्या कह रहे थे ये लोग अरे कुछ नहीं बस यही कि हमारी गाय बहुत अच्छा दूध देती है रोज एक ही बात कह कर जाते हैं हमारी गाय को नजर लगा देते हैं यह लोग अरे ऐसा कुछ नहीं होता तुम कुछ कहने आई थी क्या हां वो मुझे भगवान के लिए खीर बनानी थी तो थोड़ा दूध दे दो दूध तो सारा खत्म हो गए अब तो कुछ नहीं बचा अरे चलो ठीक है कोई बात नहीं तुम गाय को अच्छे से बांधकर खिला पिलाकर अंदर आ जाना ठीक है
बिरजू और सरिता का जीवन अच्छे से कट रहा था तभी एक दिन बिरजू घर के बाहर लोगों को दूध नाप कर दे रहा था और सरिता घर के कामों में व्यस्त थी तभी अचानक से उसे बाहर कुछ शोर सुनाई दिया और वह बाहर आ गई अरे बिरजू यह क्या हुआ क्या हुआ काकी अरे यह दूध मैं घर लेकर गई थी और जैसे ही गर्म किया दूध गया अरे यह कैसे हो गया कहीं तूने मुझे पुराना दूध तो नहीं दे दिया नहीं नहीं काकी आप एक काम करो अभी मैं ताजा दूध आपको दे रहा हूं
ये घर ले जाओ बिजू ने काकी को दूध दिया ही था कि तभी गांव के काका भी वहां आ गए बिरजू भाई आज तो तुमने मेरी डांट ही पड़वा दी क्यों क्या हुआ काका बिरजू अभी-अभी ही मैं तो दूध लेकर गया था और जैसे ही गर्म होने के लिए चढ़ाया वो दूध फट गया क्या बात कर रहे हैं काका आप अभी तो आपके सामने ने दूध निकाला था