जंगल की ठंडी हवा, बाहर मूसलाधार बारिश और अंदर एक रहस्यमयी झोपड़ी आरुषि को लग रहा था मानो वह किसी और ही दुनिया में आ गई हो।

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कभी-कभी जीवन की राहें हमें ऐसे मोड़ पर ले जाती हैं जहां कल्पना और वास्तविकता की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। यह कहानी ऐसी ही एक लड़की की है जिसका नाम था आरुषी। आरुषी एक उत्साही वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर थी जो जंगलों की रहस्यमई दुनिया में खो जाना पसंद करती थी।

कैमरा उसके हाथ में एक जादुई छड़ी की तरह था जो हर पल को अमर बना देता। लेकिन एक दिन उसकी यह जुनून उसे ऐसी जगह ले गया जहां से वापसी का रास्ता आसान नहीं था। यह सब उस दोपहर शुरू हुआ जब आरुषी एक घने जंगल में घुस गई। वहां की हरियाली, जंगली जानवरों की आवाजें और अनजाने पेड़ों की छांव उसे मोहित कर रही थी।

वह एक दुर्लभ पक्षी की तस्वीर लेने के चक्कर में इतनी आगे बढ़ गई कि रास्ता भूल गई। शाम होने लगी थी। आसमान में बादल घिराए और अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। पानी की बूंदे इतनी तेज गिर रही थी, मानो आसमान फट गया हो। आरुषि के सारे कपड़े भीग गए, उसके बाल चिपक गए और ठंड उसकी हड्डियों तक घुसने लगी।

वह कांप रही थी। उसके दांत बज रहे थे। जंगल का हर कोना अब दुश्मन जैसा लग रहा था। बारिश और तेज हो गई। आरुषि ने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन कहीं कोई आश्रय नहीं दिखा। ठंड से उसका शरीर शून्य होने लगा। तभी थोड़ी दूर पर उसे एक पुरानी झोपड़ी नजर आई। वह जजर लग रही थी। लेकिन उस वक्त वह स्वर्ग से कम नहीं थी। आरुषिति तेजी से दौड़ी और झोपड़ी के अंदर घुस गई।

अंदर का दृश्य और भी उदास था। झोपड़ी खाली थी। सिर्फ एक पुरानी चारपाई पड़ी हुई थी और एक टेबल पर एक धूल भरी बोतल रखी थी। कोई इंसान नहीं, कोई जानवर नहीं। सिर्फ हवा की सनसनाहट और बाहर की बारिश की आवाज।

आरुषी ठंड से कांप रही थी। उसके कपड़े पानी से तर-बतर थे और हवा की सर्दी उसे बीमार करने पर तुली थी। उसने बोतल पर नजर डाली। वो पुरानी और अजीब लग रही थी। जैसे सदियों से वहां रखी हो। जिज्ञासा ने उसे बोतल उठाने पर मजबूर कर दिया। जैसे ही उसने बोतल को छुआ, वह चमकने लगी।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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