सूरजपुर गांव की रातें सिर्फ अंधेरी नहीं थीं, बल्कि खून से लिखी दास्तानों से लथपथ थीं यहां डर भूतों का नहीं, इंसानों का था।

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नमस्ते दोस्तों। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी। यह कहानी है सूरजपुर गांव की। एक ऐसा गांव जो बाहर से देखने में शांत और हरा भरा लगता है। लेकिन इसके अंदर छिपा है एक ऐसा अंधेरा जो इंसानियत को शर्मसार कर देता है। यहां ना कोई भूत है ना कोई राक्षस। यहां का असली डर है इंसान।

वह इंसान जो अपनी क्रूरता में हैवान बन गया। तो तैयार हो जाइए क्योंकि यह कहानी खून से सनी रातें आपके दिल में डर का साया छोड़ जाएगी। सूरजपुर एक छोटा सा गांव है जो घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां की हवा में सुकून की खुशबू है। लेकिन रात होते ही सन्नाटा ऐसा छा जाता है कि हर कदम पर डर लगने लगता है।

गांव के लोग साधारण हैं। खेती करते हैं, पशु पालते हैं और शाम को अपने घरों में चूल्हे के पास बैठकर बातें करते हैं। लेकिन कुछ साल पहले इस गांव में कुछ ऐसा हुआ जिसने इसकी शांति को हमेशा के लिए छीन लिया। यह सब शुरू हुआ रामलाल की मौत से। रामलाल गांव का एक मेहनती किसान था जिसे सब पसंद करते थे।

एक रात वह अपने खेत की रखवाली करने गया। सुबह जब वह नहीं लौटा तो उसकी पत्नी सुशीला घबरा गई। उसने गांव वालों को बुलाया और सब मिलकर उसे ढूंढने निकले। दो दिन बाद उसकी लाश खेत के पास एक गड्ढे में मिली। उसका चेहरा इतना कुचला हुआ था कि पहचानना मुश्किल था जैसे किसी ने उसे जानबूझकर तड़पाया हो। पास में एक पत्थर पड़ा था जिस पर खून के धब्बे थे। गांव वाले डर गए। यह कोई हादसा नहीं था। यह एक क्रूर हत्या थी।

सुशीला रो-रो कर बेहाल थी। उसने बताया कि रामलाल का किसी से कोई झगड़ा नहीं था। फिर यह हुआ कैसे? गांव में सवाल गूंजने लगे। पुलिस को बुलाया गया। लेकिन सूरजपुर इतना दूर था कि पुलिस को आने में दो दिन लगे। तब तक गांव में डर का बीज बोया जा चुका था। रामलाल की मौत को अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि गांव में दूसरा हादसा हुआ।

Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

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