एक छोटे से शहर की एक घनी बसी सोसाइटी में कई परिवार रहते थे। जहां हर कोई एक दूसरे को जानता था। बच्चे साथ खेलते, बड़े लोग शाम को पार्क में गपशप करते और त्योहारों पर पूरी सोसाइटी एक परिवार की तरह जश्न मनाती। इसी सोसाइटी में दो लड़कियां थी।
प्रियंका और नेहा। प्रियंका 18 साल की थी और नेहा 19 की। दोनों बचपन से ही अटूट दोस्त थी। साथ स्कूल जाती, साथ होमवर्क करती और एक दूसरे के राज साझा करती। प्रियंका की खूबसूरती ऐसी थी कि देखने वाला देखता रह जाता। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें, गोरा रंग, लंबे काले बाल और मुस्कान जो किसी का भी दिल जीत लेती।
नेहा भी सुंदर थी। लेकिन प्रियंका की तुलना में हमेशा खुद को कमतर महसूस करती। शुरू में यह सिर्फ एक छोटी सी ईर्ष्या थी। लेकिन समय के साथ यह जलन की आग में बदल गई। यह जलन कैसे शुरू हुई यह एक लंबी कहानी है। बचपन में दोनों साथ खेलती लेकिन जैसे-जैसे वे बड़ी हुई, लोगों की नजरें प्रियंका पर ज्यादा टिकने लगी।
स्कूल में लड़के प्रियंका को चिट्ठियां लिखते। टीचर उसकी तारीफ करते और सोसाइटी की आंटियां कहती। प्रियंका कितनी प्यारी है जैसे कोई परी। नेहा को यह सब अच्छा लगता था क्योंकि वह उसकी दोस्त थी। लेकिन धीरे-धीरे नेहा के मन में एक कांटा चुभने लगा। एक दिन स्कूल के फंक्शन में प्रियंका को बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला और नेहा को कुछ नहीं। घर आकर नेहा आईने के सामने खड़ी हो गई और खुद को घूरने लगी। क्यों मैं इतनी साधारण हूं?
क्यों सब प्रियंका की ही तारीफ करते हैं?