एक बार की बात है रामपुर नाम के एक छोटे से शहर में जहां जिंदगी रोजमर्रा के शोर और हंसी से भरी हुई थी। एक अजीब सा संकट छा गया था। शहर के सब्जी मार्केट में जो हर सुबह और शाम लोगों से गूंजता था। कुछ महिलाएं एक-एक करके गायब होने लगी थी। पहले तो लोगों ने इसे इत्तेफाक समझा।
लेकिन जब यह सिलसिला बढ़ता गया तो पुलिस के कान खड़े हो गए। कई शिकायतें आई पर कोई सुराग नहीं मिल रहा था। यह घटनाएं शहर के लिए एक अनबूझ पहेली बन गई थी। तब एसपी मैडम जिनका नाम मीरा था।
ने इस केस को अपने हाथों में लिया। मीरा एक तेजतर्रार और हिम्मत वाली पुलिस ऑफिसर थी। जिनकी इंटेलिजेंस और स्ट्रेटजी के चर्चे दूर तक फैलते थे। उन्होंने सोचा कि यह मिस्ट्री तब तक नहीं सुलझेगी जब तक वह खुद इसके अंदर ना उतर जाए। इसलिए उन्होंने एक चतुर योजना बनाई।
वो डिसगाइस में सब्जी मार्केट जाएंगी और यह पता लगाएंगी कि लड़कियां कहां और कैसे गायब हो रही हैं। मीरा ने अपना रूप बदला। उन्होंने एक पुराना पीला सलवार सूट चेहरे पर थोड़ी सी मेल लगाकर अपने आप को एक साधारण सब्जी वाली बनाया।और एक टोकरी में सब्जियां डालकर सुबह-सुबह मार्केट में जा पहुंची। वो अपनी टोकरी के साथ बैठी सब्जियां बेचने का नाटक करती हुई। लेकिन उनकी आंखें हर तरफ घूम रही थी।
हर आने जाने वाले पर नजर रखते हुए। कुछ देर बाद एक पुलिस इंस्पेक्टर वहां आया जिसका नाम विजय था। विजय एक बदनाम और करप्ट ऑफिसर था जो अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करता था।
वो मीरा के पास रुका। उनकी सब्जियों को गौर से देखा और एक तरकारी उठाकर उसे इधर-उधर घुमाया। फिर वो बोला कि यह सब्जियां खराब है और मीरा को खराब चीज बेचने के जुर्म में अरेस्ट करना पड़ेगा। मीरा ने अपनी आवाज बदलकर कहा कि वो तो बस एक गरीब औरत है जो अपना पेट पालने के लिए यह काम करती हैं।
लेकिन विजय का दिल नहीं पिघला। वो गुस्से में आया और मीरा के साथ बहस करने लगा। बहस इतनी बढ़ गई कि विजय ने मीरा को एक थप्पड़ मार दिया और उन्हें जबरदस्ती अपनी पुलिस जीप में डाल दिया। मीरा को लगा कि वो उसे पुलिस स्टेशन ले जाएगा। लेकिन विजय का इरादा कुछ और था।