Story

सीमा ने गहरी साँस ली, जैसे कोई भारी बोझ भीतर से बाहर निकालना चाह रही हो। फिर धीरे से बोली उन्होंने माँ-पापा को बाँट दिया है।

सुबह का समय था। मोहल्ले की गलियाँ अपनी रोज़मर्रा की रौनक में डूबी थीं। गली के कोने पर दूधवाला घंटी बजा-बजाकर अपनी मौजूदगी जताता घूम रहा था, और सब्ज़ीवाले की ऊँची आवाज़ हर घर में गूँज रही थी। हर घर की रसोई से रोटियों और सब्ज़ियों की खुशबू फैल रही ...

नीरा कुछ कह पाती, तभी भीतर से उसका भाई, विजय बाहर आया। विजय का चेहरा गंभीर था, पर उस गंभीरता में बहन के लिए अपनापन कहीं खो गया था।

माँ की चिट्ठी (अध्याय 1) गाँव के बीचोबीच, सदियों पुराना पीपल का पेड़ अपनी फैली हुई शाखाओं के साथ जैसे हर गुजरते इंसान की चुपचाप गवाही देता था। उसी पीपल के नीचे खड़ा था नीरा का पुश्तैनी मकान। लाल ईंटों से बना हुआ बड़ा-सा हवेलीनुमा घर, जिसके दरवाज़े पर लगे ...

सड़क हादसा, अस्पताल की खामोशी और वो अनजान बुज़ुर्ग एक इमोशनल कहानी माँ की दुआ, पत्नी का साथ और इंसानियत के असली मायने समझाती हुई

जब होश आया तो सबसे पहले कानों में बीप-बीप की मशीन की आवाज़ पड़ी। आँखें खोलीं तो धुंधली-सी आकृति दिखी। धीरे-धीरे सब साफ़ हुआ तो पता चला कि मैं अस्पताल के आईसीयू में लेटा हूँ। नाक में ऑक्सीजन की नली, हाथ में सलाईन और शरीर पर दर्जनों तार जुड़े थे। ...

दो दिन बाद सुबह का अख़बार खोला तो दिल दहल गया। एक सड़क हादसे की खबर थी। लिखा था कि एक बस ड्राइवर ने रात में शराब पी रखी थी

शाम का समय था। कस्बे की पुरानी किताबों और खिलौनों की दुकान पर मैं यूँ ही घूम रहा था। कोने में बच्चों के खिलौनों का छोटा-सा सेक्शन था। रंग-बिरंगे गुड्डे, गाड़ियाँ, गेंदें और लकड़ी के पज़ल रखे हुए थे। तभी मेरी नज़र एक छोटे से लड़के पर पड़ी। उसकी उम्र ...

गाँव में सेठ जगन्नाथ जमींदार का बड़ा रुतबा था। सारा इलाका उन्हें सलाम करता, उनकी हवेली पूरे गाँव में किसी राजमहल से कम न थी।

गाँव में सेठ जगन्नाथ जमींदार का बड़ा रुतबा था।सारा इलाका उन्हें सलाम करता, उनकी हवेली पूरे गाँव में किसी राजमहल से कम न थी। गाँव में सेठ जगन्नाथ जमींदार का बड़ा रुतबा था।सारा इलाका उन्हें सलाम करता, उनकी हवेली पूरे गाँव में किसी राजमहल से कम न थी। गाँव में ...

कुछ देर इंतज़ार करने के बाद आकाश गुस्से में कमरे तक आ गया और दरवाज़े के पास खड़ा होकर बोला बहुत ज्यादा घमंड चढ़ गया है तुम्हें।

रात के करीब आठ बज रहे थे।पूरे घर में सन्नाटा था, बस किचन से बर्तनों की हल्की खटपट सुनाई दे रही थी।नंदिनी अपने कमरे में चुपचाप बैठी हुई किताब पलट रही थी। तभी बाहर से उसके पति आकाश की आवाज़ आई।“नंदिनी… ज़रा बाहर आओ, बात करनी है।” नंदिनी ने पहले ...