Story
अमरगढ़ के राजा रणधीर सिंह न्यायप्रिय और प्रजावत्सल थे जनता उन्हें भगवान का रूप मानती थी उनकी रानी मृणालिनी जितनी सुंदर थीं
पहाड़ों के बीच बसा एक प्राचीन राज्य था अमरगढ़। कहते हैं कि इस राज्य की धरती सोने जैसी उपजाऊ और इसके किले लोहे जैसे मज़बूत थे। अमरगढ़ के राजा रणधीर सिंह न्यायप्रिय और प्रजावत्सल थे। जनता उन्हें भगवान का रूप मानती थी। उनकी रानी मृणालिनी जितनी सुंदर थीं उतनी ही ...
इसी इलाके में एक गरीब मजदूर का बेटा था अर्जुन उसके बचपन की कहानी सुनकर ही लोग रो पड़ते।
रेगिस्तान और जंगल के बीच बसे इलाके में लोग गरीबी से लड़ रहे थे। वहाँ एक ही चीज़ थी, जो पूरे गाँव का खून चूस रही थी – काले पत्थरों की खदानें। इन खदानों से निकलने वाला पत्थर शहर में लाखों-करोड़ों में बिकता था, लेकिन गाँववालों को उसके बदले सिर्फ़ ...
बचपन में ही उसके पिता को भैरव ने मार डाला और माँ ने भूख-प्यास में दम तोड़ दिया।
रेगिस्तान के बीच एक जगह थी “धूलगढ़”। यहाँ सिर्फ दो चीज़ें मिलती थीं – मौत और सोना। रेत के नीचे छिपी खदानों से सोना निकलता था, लेकिन उन खदानों पर राज करता था खूँखार डकैत काला भैरव। उसकी आँखों में खून और दिल में सिर्फ लालच था। जिसने भी सोने ...
साँप को मारकर नेवला बाहर आया उसके मुँह पर खून के निशान लगे हुए थे उसी समय हरनाम लकड़ियाँ काटते हुए अंदर जाने ही वाला था
गाँव का एक साधारण किसान था हरनाम। ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, पर ईमानदार और मेहनती था। उसकी पत्नी का देहांत हो चुका था और घर में उसका एक नन्हा बेटा ही उसकी पूरी दुनिया था। हरनाम अपनी दिन-रात की मेहनत उसी बच्चे के लिए करता। खेतों में काम करता, लकड़ियाँ ...
रवि जब दुबई चला गया तो सीमा ने सोचा था कि वो भी जल्द ही पति के पास चली जाएगी।
माँ की आवाज़ में बेचैनी साफ झलक रही थी। फ़ोन के उस पार रवि चुपचाप सुन रहा था। दुबई में रहते-रहते तीन साल हो गए थे, लेकिन माँ का ये वाक्य मानो हर महीने दो-तीन बार सुनने को मिल ही जाता। माँ अकेली नहीं थी घर में, लेकिन सच ये ...
कल्याणी की बातें सुनते-सुनते मंगला के दिल में गहरा पश्चाताप उठने लगा। सुबह ही तो उसकी बहुओं में झगड़ा हुआ था।
मंगला ने चाय के कप धोते हुए धीमे स्वर में अपने पति से कहा “मैं ज़रा दो घड़ी कल्याणी के पास जाने की सोच रही हूँ। चाय पीनी हो तो बना दूँ?” हीरालाल अख़बार में नज़र गड़ाए बैठे थे। उन्होंने बिना ऊपर देखे ही उत्तर दिया “अभी तो चाय की ...
घर की दीवारें, बड़े-बड़े कमरे, महंगे फर्नीचर, सब कुछ था इस घर में पर फिर भी आज घर सुनसान लग रहा था।
सुशांत जी और रमा जी घर लौटे तो दरवाज़ा खोलते ही जैसे एक अजीब सी खामोशी ने उनका स्वागत किया। सुबह-सुबह एयरपोर्ट पर बेटे कुणाल और बहू सुरभि को विदेश के लिए विदा करके आए थे। एयरपोर्ट से लौटते वक़्त रमा की आँखें बार-बार नम हो रही थीं। सुशांत जी ...
ड्राइवर ने कहा मैडम यहीं तक छोड़ सकता हूँ आगे से मुझे दूसरी सवारी उठानी है मीना थोड़ी झुंझलाई पर उसने सोचा कि घर तो पास ही है पैदल चली जाऊँगी।
रात के नौ बज चुके थे और ऑफिस की खिड़की से बाहर झांकती मीना ने देखा कि पूरा शहर रोशनी में नहा रहा है। पर उसके लिए ये रोशनी एक चिंता का कारण थी, क्योंकि वह देर से घर निकल रही थी। उसकी माँ लगातार फोन कर रही थीं और ...
मोहनलाल ने सोचा कि बच्चों को कुछ समय के लिए गाँव भेज दे। उसके पैतृक गाँव में दादा-दादी, चाचा-चाची और उनके बच्चे रहते थे।
रेलवे कॉलोनी, जबलपुर की सर्द सुबह हमेशा की तरह धुंध से ढकी हुई थी। यहां रहने वाले लोग रोज़ाना की भागदौड़ में खोए रहते, पर मोहनलाल का परिवार उस भीड़ से थोड़ा अलग था। मोहनलाल रेलवे विभाग में काम करता था और ईमानदारी से अपनी नौकरी निभाने वाला व्यक्ति था। ...
उस शाम पार्क में बाकी महिलाएँ रिनी, भावना, ऋतिका सब इकट्ठा हुईं। बातों-बातों में वही नया परिवार चर्चा का विषय बन गया।
समीक्षा रेज़िडेंसी” शहर की उन आधुनिक सोसायटियों में से थी जहाँ हर सुविधा मौजूद थी। गेट पर गार्ड, अंदर पार्क, बच्चों का खेलने का ज़ोन, जिम, और रोज़ शाम को पार्क में बैठकर गपशप करने वाली औरतें।यहाँ रहने वाले ज़्यादातर लोग पढ़े-लिखे और पैसे वाले थे। पर पैसों और पढ़ाई ...



















