Story

मीरा ने इंस्पेक्टर को घेरकर बार-बार चाकू मारा और फिर उसके शरीर के टुकड़े शहर के अलग-अलग कोनों में बिखेर दिए।

मुंबई की तंग भीड़भाड़ वाली गलियों में लीला नाम की एक बूढ़ी और गरीब महिला अपना जीवन बिता रही थी। उसकी जिंदगी का आधार था उसका छोटा सा सब्जी का ठेला। जिसे वह हर सुबह अपने झुग्गी वाले घर से निकालती और सड़कों पर धकेलती। उसकी कमर झुक गई थी। ...

तीन मासूम लड़कियाँ एक क्रूर जेलर और फिर खून से लिखा गया इंसाफ़, जिसने पूरे गांव को हिला दिया।

यह कहानी शुरू होती है हरिपुर नाम के एक छोटे से गांव से। जो पहाड़ों की गोद में बसा हुआ था। गांव में लगभग 500 घर थे। जहां हर कोई एक दूसरे को जानता था। सुबह सूरज की किरणें जब पहाड़ों से नीचे उतरती तो गांव सुनहरी रोशनी में नहा ...

अमरेंद्र ने अपनी साँसें रोक लीं, जलपरी को लगा कि वो मर चुका है लेकिन जैसे ही चाकू उसकी छाती पर रखा गया, उसकी आँखें खुलीं और पिस्तौल चमक उठी।

धानवाड़ी गांव जो कभी अपनी हरीभरी खेतों और नदी के किनारे बसी शांति के लिए जाना जाता था। अब भय के साए में डूब चुका था। पिछले कुछ सालों में यहां अपराध की लहर ने जड़े जमा ली थी। लोग रात को अपने घरों से निकलने से डरते थे। गांव ...

जंगल की ठंडी हवा, बाहर मूसलाधार बारिश और अंदर एक रहस्यमयी झोपड़ी आरुषि को लग रहा था मानो वह किसी और ही दुनिया में आ गई हो।

कभी-कभी जीवन की राहें हमें ऐसे मोड़ पर ले जाती हैं जहां कल्पना और वास्तविकता की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। यह कहानी ऐसी ही एक लड़की की है जिसका नाम था आरुषी। आरुषी एक उत्साही वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर थी जो जंगलों की रहस्यमई दुनिया में खो जाना पसंद करती ...

दरवाज़ा खुलते ही वह जल्दी-जल्दी बेटे को कमरे में भेजती और खुद बाथरूम में गायब हो जाती।

लगभग सात साल की शादी, एक पाँच साल का बेटा और लखनऊ में बसा हुआ छोटा-सा परिवार—मेरी ज़िंदगी उतनी ही साधारण लगती थी जितनी किसी आम इंसान की। मैं अक्सर सोचता था कि खुशहाल परिवार का मतलब होता है गरमागरम खाना, एक सुरक्षित घर और हर शाम अपनों के साथ ...

मेरे 50 वर्षीय पति ने बेटी की सबसे अच्छी दोस्त से शादी करने के लिए तलाक माँगा लेकिन अंत ने सबको चौंका दिया

मुंबई की भीड़भाड़ वाली ज़िंदगी में मेरा घर हमेशा हँसी और आवाज़ों से गूंजता रहता था। बीस साल की शादी, एक बेटी और एक स्थिर जीवन सब कुछ बिल्कुल सही लगता था। मुझे कभी अंदाज़ा भी नहीं था कि एक दिन यह सब कुछ एक झटके में बदल जाएगा। उस ...

माँ ने काँपती आवाज़ में कहा मैंने वो पैसे खर्च नहीं किए मैंने सब भेज दिए किसी और को वो व्यक्ति तुम्हारा भाई है।

हम दो बहनें थीं। माँ हमारे लिए सब कुछ थीं। जब से हम दोनों ने मुंबई में काम करना शुरू किया और आमदनी स्थिर हो गई, हमने तय किया कि माँ को हर महीने 20-20 हज़ार रुपये भेजेंगे। कुल मिलाकर 40,000 रुपये—इतनी रकम छोटे शहर नागपुर में एक महिला को ...

जैसे ही मैंने ज़िप खोला, मेरी उँगलियाँ किसी अजीब चीज़ से टकराईं तकिये के अंदर नोटों की गड्डियाँ और माँ की चिट्ठी छुपी हुई थी।

अर्जुन ने मेरी ओर घूरते हुए तकिया फेंका। उसकी आँखों में हमेशा की तरह वही तिरस्कार था—जैसे मैं उसके लिए कभी मायने ही नहीं रखती थी। तकिया मेरी गोद में गिरा तो मैंने उसकी थकी हुई सिलाई और फीका पड़ा कपड़ा देखा। बरसों से यह मेरे साथ था, लेकिन उस ...

अलमारी का दरवाज़ा चरमराकर खुला और उसके पीछे काले अंधेरे का रास्ता फैल गया जहाँ से मेरी पत्नी हर रात गायब हो जाती थी।

पहली बार जब मैंने अपनी पत्नी को आधी रात को लाल गाउन में देखा, तो मुझे लगा कि यह कोई सपना है। कमरे में अँधेरा था, बाहर बारिश हो रही थी और खिड़की से आती चाँदनी उसकी आकृति पर पड़ रही थी। वह खड़ी थी, बिल्कुल चुप, और उसके शरीर ...

एक पल के लिए अर्जुन की आँखें झिलमिलाईं, जैसे भीतर कुछ टूटा हो। मगर अगले ही पल उन्होंने नज़र फेर ली मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

सिंघानिया एस्टेट के झूमर से निकलती सुनहरी रोशनी उस रात असामान्य रूप से ठंडी लग रही थी। अर्जुन सिंघानिया, अरबपति बिज़नेस टाइकून, अपनी लाइब्रेरी में खड़े थे। सामने खड़ी थी मीरा – उनकी नौकरानी। उसकी आँखों में डर और उम्मीद दोनों थे। उसके हाथ अपने पेट पर टिके हुए थे, ...