
Ankit Verma
बगल में गुलाब जामुन शरबत में डूबे-डूबे चमक रहे थे। और चूल्हे पर ताज़ा मटर पनीर की सब्ज़ी पक रही थी
रसोई से आती हलुए और ताज़ी पूरी की खुशबू पूरे घर में फैली हुई थी। घी में तली जा रही पूरीयों की छन-छन और ...
मैं आपकी बेटी की क्लास टीचर रेखा मेम बोल रही हूँ। आज दूसरी क्लास की पैरेंट्स-टीचर मीटिंग है। कृपया अपनी बेटी के साथ समय पर पहुँचिएगा।
सुबह-सुबह जब अजय ऑफिस में अपनी फाइलें टेबल पर रख ही रहा था, तभी फोन की घंटी बजी। उसने रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ ...
लेकिन हवेली में रहते हुए नीलिमा को महसूस हुआ, यहाँ कुछ तो अजीब है। घर के लोग दिखते तो थे, पर उनकी आँखों में जैसे कोई गहरा राज़ छुपा था
रात के साढ़े बारह बजे थे। पुरानी हवेली की खिड़कियों से आती हवा डरावनी आवाज़ कर रही थी। नीलिमा पहली बार अपने ससुराल की ...
गाँव के किनारे रहता था शंकर। एक सीधा-सादा किसान। उसकी ज़िंदगी खेत, बैल और छोटी-सी बेटी गौरी के इर्द-गिर्द घूमती थी
गाँव नरहरपुर में हर गली, हर चौपाल पर एक ही बात कही जाती थी—“रात में पुराने कुएँ के पास मत जाना।” गाँव की औरतें ...
मायके की इज़्ज़त पर उठे सवालों से टूटी चुप्पी, बहू की हिम्मत भरी आवाज़ जिसने रिश्तों की सच्चाई और सम्मान की लड़ाई सबके सामने रख दी
संध्या अपने कमरे में चुपचाप बैठी थी। सामने मैगज़ीन खुली थी लेकिन आँखें उसके पन्नों पर नहीं, कहीं दूर शून्य में टिकी हुई थीं। ...
माँ के बिना मायका अधूरा लगा, पर नीम की छाँव में मिला बचपन का सहारा आँसू, यादें और ममता का अनकहा रिश्ता
कई सालों बाद वह अपने गाँव लौटी थी। वजह भी कुछ खास थी भतीजे की शादी। वरना माँ-बाप के गुजर जाने के बाद गाँव ...
मोहन ने नौकरी की और जल्दबाज़ी में शादी भी कर ली, ताकि कोई घर में छोटे आदित्य का ख़्याल रख सके।
“भैया, अगले हफ़्ते गृहप्रवेश है… रविवार को। आप सबको आना ही पड़ेगा। गाड़ी मैं भेज दूँगा।”फोन पर छोटे भाई आदित्य की उत्साहित आवाज़ गूंज ...
वाह भाभी मायके घूमने का शौक था ना? सासू माँ अकेली रह गईं, और आप मज़े से निकल गईं!” दीक्षा ने ताना मारा।
साक्षी की शादी को दस साल हो चुके थे। उसने इस रिश्ते में हमेशा अपना सब कुछ लगाया था। घर की जिम्मेदारियाँ, बच्चों की ...
अर्जुन का बिज़नेस ट्रिप हमेशा मीरा के लिए सवाल छोड़ जाता। कभी मुंबई, कभी दिल्ली, कभी अचानक से ऑफिस मीटिंग।
अर्जुन और मीरा की शादी को 8 साल हो चुके थे। बाहर से देखने में यह रिश्ता परफेक्ट लगता था—दोनों की अच्छी जॉब, शहर ...
रुचि की आँखें भर आईं। वह चाहती तो बहुत कुछ कह सकती थी, लेकिन चुप रहना ही बेहतर समझा। इतने में उसका पति अर्जुन भी ऑफिस से लौट आया।
रुचि रसोई में चुपचाप बर्तन समेट रही थी। चेहरे पर थकान और आँखों में नमी थी। तभी पीछे से उसकी ननद स्वाति आकर ताने ...



















