Ankit Verma

अंकित वर्मा एक रचनात्मक और जिज्ञासु कंटेंट क्रिएटर हैं। पिछले 3 वर्षों से वे डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं और Tophub.in पर बतौर लेखक अपनी खास पहचान बना चुके हैं। लाइफस्टाइल, टेक और एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में विशेष रुचि रखते हैं।

उस शाम पार्क में बाकी महिलाएँ रिनी, भावना, ऋतिका सब इकट्ठा हुईं। बातों-बातों में वही नया परिवार चर्चा का विषय बन गया।

समीक्षा रेज़िडेंसी” शहर की उन आधुनिक सोसायटियों में से थी जहाँ हर सुविधा मौजूद थी। गेट पर गार्ड, अंदर पार्क, बच्चों का खेलने का ...

पास ही बिस्तर पर सुमन सो रही थी। मेरी कराह सुनकर उसने करवट बदली। आँखें अब भी नींद से भरी हुई थीं, पर चेहरे पर चिंता साफ थी

रात का वही सन्नाटा था, जो शहर की भीड़-भाड़ से परे होकर भी आदमी के भीतर तक गूंजता है। दीवार पर टंगी पुरानी घड़ी ...

शहर में नौकरी लगना आसान नहीं था, लेकिन अजय ने मेहनत करके सरकारी विभाग में क्लर्क की नौकरी हासिल कर ली।

अजय का जीवन हमेशा से सीधा-सादा रहा था। वह एक छोटे से गाँव से पढ़-लिखकर शहर आया था। पिता किसान थे, जिनकी मेहनत की ...

पति सुनील का स्वभाव कुछ अलग ही था। पढ़ा-लिखा था, पर मन कहीं टिकता ही नहीं। नौकरी करता तो भी गिनती के महीनों में झगड़ा कर छोड़ देता।

गाँव के उस छोटे से घर में अनिता का मन अब बार-बार घुटता। घर की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। बाहर से देखने ...

गर्म हवा की लहरें जैसे कमरे के कोनों तक जा रही थीं। आटे की लोई बेलन के नीचे गोल-गोल घूम रही थी, और रोटी धीरे-धीरे अपना आकार ले रही थी

रसोई में तवा तप रहा था। गर्म हवा की लहरें जैसे कमरे के कोनों तक जा रही थीं। आटे की लोई बेलन के नीचे ...

बाहर कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें आ-जा रही थीं। आसमान में चाँद बादलों से ढका हुआ था और गाँव की गलियाँ सन्नाटे में डूबी हुई थीं।

रात का दूसरा पहर था। बाहर कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें आ-जा रही थीं। आसमान में चाँद बादलों से ढका हुआ था और गाँव ...

ऑफिस की घड़ी ने अभी नौ ही बजाए थे। राजीव बाबू तेज़ कदमों से अंदर आए और जैसे ही कुर्सी खींचकर बैठने लगे, रिसेप्शन का फोन लगातार बजने लगा

सुबह का समय था। ऑफिस की घड़ी ने अभी नौ ही बजाए थे। राजीव बाबू तेज़ कदमों से अंदर आए और जैसे ही कुर्सी ...

मास्टरजी गाँव के सबसे सीधे, सबसे सच्चे और सबसे विद्वान इंसान माने जाते थे। पत्नी का साया तो सालों पहले ही उठ चुका था।

अजय अपना बैग धीरे-धीरे समेट रहा था। आँगन में पसरे सन्नाटे को जैसे हर चीज़ महसूस कर रही थी पुरानी चारपाई, कोने में रखी ...

पिता जिसने बेटी के लिए माँ बनकर निभाया हर त्याग और साबित किया कि सच्चा मातृत्व दिल से जिया जाता है

शहर का एक बड़ा कॉलेज। दोपहर की गर्मी बहुत तेज थी। हवा में लपटें जैसी तपिश थी। कॉलेज के आँगन में एक आदमी पसीने ...

इसी भीड़ के बीच मेरी नज़र अचानक बच्चों के कोने पर पड़ी। वहां रंग-बिरंगे चित्रों वाली किताबें सजी थीं।

मैं उस दिन संयोग से किताबों की दुकान में चला गया था। हवा में पुरानी किताबों की गंध और नए पन्नों की ताज़गी घुली ...