
Ankit Verma
उसके पिता वीर प्रताप सिंह एक बड़े बिज़नेसमैन थे शहर में उनका नाम-दाम सब था, लेकिन घर में उनका साया भी मुश्किल से पड़ता था।
अर्जुन बचपन से ही अलग स्वभाव का था। जहाँ बाकी बच्चे खेलकूद और पढ़ाई में लगे रहते, वहीं अर्जुन की आँखों में हमेशा एक ...
अमरगढ़ के राजा रणधीर सिंह न्यायप्रिय और प्रजावत्सल थे जनता उन्हें भगवान का रूप मानती थी उनकी रानी मृणालिनी जितनी सुंदर थीं
पहाड़ों के बीच बसा एक प्राचीन राज्य था अमरगढ़। कहते हैं कि इस राज्य की धरती सोने जैसी उपजाऊ और इसके किले लोहे जैसे ...
इसी इलाके में एक गरीब मजदूर का बेटा था अर्जुन उसके बचपन की कहानी सुनकर ही लोग रो पड़ते।
रेगिस्तान और जंगल के बीच बसे इलाके में लोग गरीबी से लड़ रहे थे। वहाँ एक ही चीज़ थी, जो पूरे गाँव का खून ...
बचपन में ही उसके पिता को भैरव ने मार डाला और माँ ने भूख-प्यास में दम तोड़ दिया।
रेगिस्तान के बीच एक जगह थी “धूलगढ़”। यहाँ सिर्फ दो चीज़ें मिलती थीं – मौत और सोना। रेत के नीचे छिपी खदानों से सोना ...
साँप को मारकर नेवला बाहर आया उसके मुँह पर खून के निशान लगे हुए थे उसी समय हरनाम लकड़ियाँ काटते हुए अंदर जाने ही वाला था
गाँव का एक साधारण किसान था हरनाम। ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, पर ईमानदार और मेहनती था। उसकी पत्नी का देहांत हो चुका था और ...
रवि जब दुबई चला गया तो सीमा ने सोचा था कि वो भी जल्द ही पति के पास चली जाएगी।
माँ की आवाज़ में बेचैनी साफ झलक रही थी। फ़ोन के उस पार रवि चुपचाप सुन रहा था। दुबई में रहते-रहते तीन साल हो ...
कल्याणी की बातें सुनते-सुनते मंगला के दिल में गहरा पश्चाताप उठने लगा। सुबह ही तो उसकी बहुओं में झगड़ा हुआ था।
मंगला ने चाय के कप धोते हुए धीमे स्वर में अपने पति से कहा “मैं ज़रा दो घड़ी कल्याणी के पास जाने की सोच ...
घर की दीवारें, बड़े-बड़े कमरे, महंगे फर्नीचर, सब कुछ था इस घर में पर फिर भी आज घर सुनसान लग रहा था।
सुशांत जी और रमा जी घर लौटे तो दरवाज़ा खोलते ही जैसे एक अजीब सी खामोशी ने उनका स्वागत किया। सुबह-सुबह एयरपोर्ट पर बेटे ...
ड्राइवर ने कहा मैडम यहीं तक छोड़ सकता हूँ आगे से मुझे दूसरी सवारी उठानी है मीना थोड़ी झुंझलाई पर उसने सोचा कि घर तो पास ही है पैदल चली जाऊँगी।
रात के नौ बज चुके थे और ऑफिस की खिड़की से बाहर झांकती मीना ने देखा कि पूरा शहर रोशनी में नहा रहा है। ...
मोहनलाल ने सोचा कि बच्चों को कुछ समय के लिए गाँव भेज दे। उसके पैतृक गाँव में दादा-दादी, चाचा-चाची और उनके बच्चे रहते थे।
रेलवे कॉलोनी, जबलपुर की सर्द सुबह हमेशा की तरह धुंध से ढकी हुई थी। यहां रहने वाले लोग रोज़ाना की भागदौड़ में खोए रहते, ...



















